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________________ ( ४२२ ) बुलाया तो उसके सभापति स्थविर मोग्गलिपुत्त तिस्स ने इन्हीं १८ सम्प्रदायों में से एक (थेरवाद-स्थविरवाद) को मूल बुद्ध-धर्म मान कर बाकी १७ के दार्शनिक सिद्धांतों का निराकरण किया और अपने समाधानों को 'कथावत्थु-पकरण' नामक ग्रंथ में रख दिया जो उसी समय से अभिधम्म-पिटक का एक अङ्ग माना जाने लगा । कथावत्थु में केवल दार्शनिक सिद्धांतों का खंडन है। किन-किन सम्प्रदायों के वे दार्शनिक सिद्धान्त थे, इसका उल्लेख वहाँ नहीं किया गया है। यह कमी उसकी अट्ठकथा (पाँचवीं शताब्दी) ने पूरी कर दी है। इस अट्ठकथा के वर्णनानुसार भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के १०० वर्ष बाद वज्जिपुत्तक भिक्षुओं ने संघ के अनुशासन को भंग कर ‘महासंधिक' नामक सम्प्रदाय की स्थापना की। इसो सम्प्रदाय को पांच शाखायें बाद में और हो गई । इस प्रकार कुल मिलाकर महामधिकों के ६ मम्प्रदाय हो गए, जिनके नाम थे, महासंधिक, एकब्बोहारिक, गोकुलिक, पत्तिवादी, बाहलिक और चेतियवादो। प्रथम मंगीत में स्थविरों (वद्ध भिक्षुओं) ने मल वुद्ध-धर्म के जिस स्वरूप को स्वीकार किया था उसका नाम 'थेरवाद' (स्थविग्वाद) पड़ गया था और इस थेरवाद के भी अशोक के समय तक आते-आते कुल मिलाकर १२ सम्प्रदाय हो गये थे, जो इस प्रकार थे, थेरवादी, महिंसामक, वज्जिपुत्तक, सब्बत्थवादी, धम्मगत्तिक, धम्म तरिय, छ नागरिक, भव्यानिक, सामित्तिय, कस्सपिक, संक्रन्तिक, और सुत्तवादी । कथावत्थ-अटठकथा के अनुसार यह गाखा-भेद इस प्रकार दिखाया जा सकता है। -- डेविड्स द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित एवं पालि टैक्स्ट सोसायटी (लंदन, १९१५) द्वारा प्रकाशित। बरमी, सिंहली एवं स्यामी संस्करण उपलब्ध हैं। देवनागरी में न संस्करण हैं और न अनुवाद ! १. देखिये ज्ञानातिलोक : गाइड शू दि अभिधम्म-पिटक, पृष्ठ ३६; राहुल सांकृत्यायन : विनय-पिटक (हिन्दी अनुवाद) भूमिका, पृष्ठ १, उन्हीं की पुरातत्व निबन्धावली, पृष्ठ १२१; 'दीपवंस' के अनुसार और 'महावंस' ५।२-११ के अनुसार भी बिलकुल यही विभाग है, देखिये राहुल सांकृत्यायन द्वारा द्वारा सम्पादित अभिधर्म-कोश, भूमिका, पृष्ठ ४; देखिये जर्नल ऑव रॉयल एशियाटिक सोसायटी १८९१, तथा जर्नल ऑव पालि टैक्सट सोसायटी (१९०४-०५) (दि सैक्ट्स् ऑव दि बुद्धिस्ट्स्)
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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