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________________ ( ४२१ ) २. कौन सा व्यक्ति उस चहे के समान है जो बिल में रहता है किन्तु उसे स्वयं खोदकर तैयार नहीं करता ? जो सुन, गाथा आदि का अभ्यास तो नहीं करता, किन्तु चार आर्य सत्यों का साक्षात्कार कर लेता है वही व्यक्ति उस चूहे के समान है जो बिल में तो रहता है, किन्तु उसे स्वयं खोदकर तैयार नहीं करता। ३. कौन सा व्यक्ति उस चूहे के समान है जो बिल को स्वयं खोदकर तैयार भी करता है और उसमें रहता भी है ? ___ जो सुन, गाथा आदि का अभ्यास भी करता है और चार आर्य सत्यों को साक्षाकार भी करता है। ४. कौन सा व्यक्ति उस चूहे के समान है जो न बिल को खोदता है न उसमें रहता है ? जो न मुत्त, गाथा आदि का अभ्यास करता है और न चार आर्य-सन्यों का मासाक्षात्कार ही करता है । इसी प्रकार आगे के अध्यायों में क्रमश: पाँच-पाँच, छ-छै, सात-सात, आठआठ, नौ-नौ और दस-दस के वर्गीकरणों में व्यक्तियों का वर्णन किया गया है । यद्यपि सुत्त-पिटक से नवीन या मौलिक तो यहाँ कुछ नहीं है, फिर भी उपमाएँ कहीं-कहीं बड़ी सुन्दर हुई है। संख्याबद्ध वर्गीकरणों की ऊपरी कृत्रिमता होते हुए भी 'पुग्गल- पञत्ति' के विवरण नैतिक तत्वों की भित्ति पर आश्रित हैं, अतः वे आधुनिक विद्यार्थी के लिए भी अध्ययन के अच्छे विषय है । कथावत्थु जैसा दूसरे अध्याय में दिखाया जा चुका है, अशोक के समय (तीसरी शताब्दी ईसवी पूर्व) तक आते-आते मल बुद्ध-धर्म १८ भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों या निकायों में बट चुका था। अशोक ने लगभग २४६ ई० पू० जब पाटलिपुत्र की सभा को १. ए० सी० टेलर द्वारा सम्पादित एवं पालि टैक्स्ट सोसायटी, लंदन, द्वारा सन् १८९४ एवं १८९७ में रोमन लिपि में प्रकाशित । 'पॉइन्ट्स ऑव कन्ट्रोवर्सी और सबजैक्ट्स ऑव डिस्कोर्स' शीर्षक से शॉ जैन आँग एवं श्रीमती रायस
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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