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________________ ( ३६५ ) २५. अ. जो चित्त-मल से युक्त हैं--(मासवा) ___आ. जो चित्त-मल से युक्त नहीं है-- (अनासवा) १६. अ. जिनसे चित्त-मल संलग्न है--(आसवसम्पयुत्ता) आ. जिनसे चित्त-मल संलग्न नहीं हैं--(आसवविप्पयुत्ता) १७. अ. जो स्वयं चित्त-मल है और चित्त-मलों से युक्त भी है---(आसवा चेव सासवा चा) आ. जो स्वयं चित्त-मल नहीं हैं किन्तु चित्त-मलों से युक्त हूँ-- (सासवा चेव नो च आसवा) ८. अ. जो स्वयं चित्त-मल हैं और जिनसे चित्त-मल संलग्न भी हैं--- (आसवा चेद आसवसम्पयुत्ता च) आ. जो स्वयं चित्त-मल नहीं है किन्तु जिनसे चित्त-मल संलग्न हैं-- (आमवसम्पयना चेव नो च आसवा) १. अ. जो चिन-मलों से संलग्न न रहने पर भी उनके आधार है-- (आमव दिप्पयना मासवा) अ. जो चित्तामलों में संलग्न भी नहीं है और उनके आधार भी नहीं हैं (आमविप्पयना अनामवा) (6--संयोजन-वर्ग) २०. अ. जो चित्त के वन्धन है---- (संयोजना) आ. जो चित्त के बन्धन नहीं है--(नो संयोजना) १. अ. जो चित्त-बन्धनों की ओर ले जाने वाले हैं ---- (संयोजनिया) आ. जो चिन-बन्धनों की ओर नहीं ले जाने वाले हैं--(असंयोजनिया) २. अ. जिनमे चित्त-बन्धन मंलग्न है--(संयोजन-सम्पयुना) आ. जिनसे चित्त-बंधन असंलग्न है--(संयोजन-विप्पयुत्ता) ३. अ. जो स्वयं चित्त-बन्धन है और चित्त-बन्धनों की ओर ले जाने वाले भी है--(संयोजना चेव मंयोजनिया च) आ. जो स्वयं चित्त-बन्धन नहीं हैं किन्तु जो चित्तवन्धनों की ओर ले जाने वाले हैं--(संयोजनिया चेव नो च संयोजना) २४. अ. जो स्वयं चित्त-बन्धन हैं और जिनसे चित्त-बन्धन संलग्न भी है-- (संयोजना चेव संयोजनसंपयुत्ता च)
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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