SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 383
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३६४ ) २. अ. जो हेतुओं से युक्त हैं -- ( सहेतुका ) आ. जो हेतुओं से युक्त नहीं हैं -- ( अहेतुका ) ३. अ. जिनमे हेतु संलग्न हैं -- ( हेतुसम्पयुत्ता) आ. जिनमे हेतु संलग्न नहीं हैं -- ( हेतुविप्पयुक्त्ता ) ४. अ. जो स्वयं हेतु हैं और हेतुओं से युक्त भी हैं -- ( हेतू चेव सहेतुका च), आ. जो स्वयं हेतु नहीं हैं किंतु हेतुओं से युक्त है --- ( सहेतुका चेव न च हेतु) अ. जो स्वयं हेतु है और जिनसे हेतु संलग्न भी है-- ( हेतू चेव हेतुसम्पयुक्त्ता च ) आ. जो स्वयं हेतु नहीं हैं, किन्तु जिनसे हेतु संलग्न है -- ( हेतुमम्पयुत्ता चैव न च हेतु: ६. अ. जो स्वयं हेतु नहीं हैं किन्तु जो हेतुओं मे युक्त है -- ( न हेतु सहेतुका) आ. जो न स्वयं हेतु हैं और न हेतुओं से युक्त हैं -- ( न हेतू अहेतुका ) ( संक्षिप्त मध्यवर्गीय दुक) با ७. अ. जिनके प्रत्यय हैं -- ( सप्पच्चया) आ. जिनके प्रत्यय नही है -- ( अप्पच्चया ) ८. अ. संस्कृत -- ( संखता ) . आ. असंस्कृत -- ( असंखता ) ९. अ. दृश्य -- ( सनि हस्सना) आ. अदृश्य - - (अनिद्दस्सना) १०. अ. इन्द्रिय और विषय के संनिकर्ष से युक्त - - ( सप्पटिधा ) आ. इन्द्रिय और विपय के संनिकर्ष से वियुक्त - - ( अप्पतिघा ) ११. अ. जो रूपयुक्त है -- ( रूपिनो ) आ. जो रूप युक्त नहीं है -- ( अरूपिनो ) १२. अ. लौकिक -- ( लोकिया) आ. अलौकिक -- ( लोकुत्तरा ) १३. अ. जो कुछ के द्वारा विज्ञेय है-- ( केनचि विय्या ) आ. जो कुछ न के द्वारा विज्ञेय नही है -- ( केनचि न विज्ञेय्या) ( ३. आम्रव-वर्ग ) १८. अ. जो चित्त-मल है-- ( आमवा) आ. जो चित्त-मल नहीं है (नो आसवा ) 11
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy