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________________ ( ३६० ) २२ तिक ( कुसला ) १. अ. जो धम्म कुशल हैं आ. जो धम्म कुशल नहीं हैं ( अकुसला ) इ. जो धम्म अव्याकृत हैं ( अव्याकता ) २. अ. जो धम्म सुख की वेदना से युक्त हैं ( सुखाय वेदनाय सम्पयुत्ता ) आ. जो धम्म दुःख की वेदना से युक्त हैं ( दुक्खाय वेदनाय सम्पयुत्ता ) जो धम्म न सुख न दुःख की वेदना से युक्त हैं ( अदुक्खमसुखाय वेदनाय सम्पयुक्त्ता ) इ. ३. अ. जो धम्म चित्त की कुशल या अकुशल अवस्थाओं के स्वयं परिणाम हैं ( विपाका ) आ. जो धम्म स्वयं चित्त की कुशल या अकुशल अवस्थाओं के परिणामों को पैदा करने वाले हैं (विपाकधम्मधम्मा ) इ. जो धम्म न किसी के स्वयं परिणाम हैं और न परिणाम पैदा करने वाले हैं (नेव-विपाक-न- विपाक-धम्मधम्मा) ४. अ. जो धम्म पूर्व कर्म के परिणाम स्वरूप प्राप्त किये गये हैं और जो स्वयं भविष्य में ऐसे ही धम्मों को पैदा करने वाले हैं (उपादिन्नुपादानिया ) आ. जो धम्म पूर्व कर्म के परिणाम स्वरूप तो प्राप्त नहीं किये गये हैं किन्तु जो भविष्य में धम्मों को पैदा करने वाले हैं (अनुपादिन्नुपादानिया ) इ. जो धम्म न तो पूर्व कर्म के परिणाम स्वरूप प्राप्त ही किये गये हैं और न जो भविष्य में धम्मों को पैदा करने वाले हैं (अनुपादिन्नानुपादानिया ) ५. अ. जो धम्म स्वयं अपवित्र हैं और अपवित्रता के आलम्बन भी बनते हैं आ. जो धम्म स्वयं अपवित्र नहीं हैं किंतु अपवित्रता के आलम्बन बनते हैं इ. जो धम्म न स्वयं अपवित्र हैं और न अपवित्रता के आलम्बन ही बनते हैं ६. अ. जो धम्म वितर्क और विचार से ( संकिलिट्ठ-संकिलेसिका ) (असंकिलिट्ठ-संकिलेसिका ) (असंकिलिट्ठ-असं किलेसिका ) युक्त हैं ( सवितक्क-सविचारा )
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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