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________________ ( १२ ) ईसवी पूर्व से १ ईसवी पूर्व तक (२) प्राकृत भाषाएँ (१ से ५०० ईसवी तक ) (३) अपभ्रंश भाषाएँ (५०० ईसवी से १००० ईसवी तक । आधुनिक युग में आकर इन्हीं अपभ्रंश भाषाओं से हमारी हिन्दी, मराठी, गुजराती आदि वर्तमान प्रान्तीय भाषाओं का विकास हुआ है। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बाद अब हमें पालि भाषा के स्वरूप आदि पर कुछ अधिक स्पष्टता के साथ विचार करना है । पालि किस प्रदेश की मूल भाषा थी ? पालि भाषा के विषय में सब से अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न है - वह किस प्रदेश की मूल भाषा थी ? सिंहली परम्परा उसे मागधी या मगध की भाषा मानती है, यह हम अभी कह ही चुके हैं । किन्तु यह समस्या इतनी सस्ती निबटने वाली नहीं है । विद्वानों के एतद्विषयक मतों का यदि संग्रह किया जाय तो वह एक लम्बी सूची होगी। सभी मत उसे भिन्न भिन्न प्रान्तों की भाषा मानने के पक्षपाती हैं । कुछ विद्वानों के मतों का निदर्शन करना यहाँ आवश्यक होगा । (१) प्रोफेसर रायस डेविड्स ' -- पालि भाषा का आधार कोशल प्रदेश में छठी और सातवीं शताब्दी ईसवी पूर्व में बोले जाने वाली भाषा थी । कारण (१) भगवान् बुद्ध कोशल प्रदेश के थे, अतः उनकी मातृभाषा यही थी और इसी में उन्होंने उपदेश दिये थे (२) भगवान् बुद्ध के परिनिर्वाण के बाद सौ वर्ष के भीतर प्रधानतः कोशल प्रदेश में ही उनके उपदेशों का संग्रह किया गया । (२, ३) वैस्टरगार्ड और ई० कुहन -- पालि उज्जयिनी - प्रदेश की बोली थी । कारण (१) गिरनार (गुजरात) के अशोक के शिलालेख से इसका सर्वाधिक साम्य है (२) कुमार महेन्द्र ( महिन्द ) जिन्होंने लंका में बौद्ध धर्म का प्रचार किया और पालि त्रिपिटक को वहाँ पहुँचाया, की मातृ भाषा यही थी । (४) आर० ओ० फ्रैंक ४ -- पालि भाषा का उद्गम स्थान विन्ध्य-प्रदेश १. बुद्धिस्ट इन्डिया, पृष्ठ १५३-५४; केम्ब्रिज हिस्ट्री अव इन्डिया, जिल्द पहली, पृष्ठ १८७; पालि डिक्शनरी, पृष्ठ ५ ( प्राक्कथन ) २. ३,४,५ लाहाः पालि लिटरेचर, जिल्द पहली, पृष्ठ ५०-५६ ( भूमिका ) ; बुद्धिस्टिक स्टडीज (डा० लाहा द्वारा सम्पादित ) पृष्ठ २३३ देखिये गायगरः पालि लिटरेचर एंड लेंग्वेज पृष्ठ ३-४ (भूमिका) विंटरनित्ज: इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ ६०४ (परिशिष्ट दूसरा )
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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