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________________ ( २९६ ) · भी तुलना विद्वानों ने की है । |' आठवी शताब्दी में अरबों ने यूरोप पर आक्रमण किया । स्पेन और इटली आदि को उन्होंने रोंद डाला । उन्ही के साथ जातक - कहानियाँ भी इन देशों में गई और उन्होंने धीरे धीरे सारे यूरोपीय साहित्य को प्रभावित किया । फ्रान्स के मध्यकालीन साहित्य में पशु-पक्षी सम्बन्धी कहानियों की अधिकता है। फ्रेंच विद्वानों ने उन पर 'जातक' के प्रभाव को स्वीकार किया है । वायविल और विशेषतः सन्त जोन के सुसमाचार की अनेक कहानियों और उपमाओं की तुलना पालि त्रिपिटक और विशेषतः 'जातक' के इस सम्वन्धी विवरणों से विद्वानों ने की है । ईसाई धर्म पर बौद्ध धर्म का पर्याप्त प्रभाव पड़ा है, यह अव प्रायः निर्विवाद माना जाने लगा है। इस प्रभाव में अन्य अनेक तत्त्वों के अतिरिक्त 'जातक' का भी काफी सहयोग रहा है । ईसाई सन्त प्लेसीडस की कथा की तुलना न्यग्रोधाराम जातक ( १२ ) की कथा से की गई है, यद्यपि विन्टरनित्ज़ ने उसमें अधिक साम्य नही पाया है । पर सब से अधिक साम्य तो मध्य-युग की रचना 'वरलाम एण्ड जोसफत' का जातक के 'बोधिसत्व' से है । इस रचना में, जो मूलतः ही या सातवीं शताब्दी ईसवी में पहलवी में लिखी गई थी, भगवान् बुद्ध की जीवनी ईसाई परिधान में वर्णित की गई है । बाद में इस रचना के अनुवाद अरब, सीरिया इटली और यूरोप की अन्य भाषाओं में हुए । 'जोसफत' शब्द अरबी 'युदस्तफ' का रूपान्तर है, जो स्वयं संस्कृत 'वोधिसत्व ' का अरबी अनुवाद है | ईसाई धर्म में सन्त ' जोसफत' को ( जिनका न केवल बल्कि पूरा जीवन बोधिसत्व - बुद्ध का है ) ईसाई सन्त के रूप में स्वीकार किया गया है। यह एक बड़ी अद्भुत किन्तु ऐतिहासिक रूप से सत्य बात है । श्रीमती यम डेविड्स ने तो शेक्सपियर के मर्चंट ऑव वेनिस में 'तीन डिबियों' तथा 'आध मेर मांस' के वर्णन में तथा 'ऐज यू लाइक इट' में 'बहुमूल्य रत्नों' के विवरण में जातक के प्रभाव को ढूंढ निकाला है, एवं स्लेवोनिक जाति के साहित्य नाम, १. मिलाइये विन्टरनित्ज़ : इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ १३०, पद-संकेत २, आदि आदि । २. इंडियन लिटरेचर, जिल्द दूसरी, पृष्ठ १५०, पद-संकेत २ ३. देखिये जातक (प्रथमखंड ) पृष्ठ ३०, पद-संकेत १ ( वस्तुकथा )
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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