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________________ पहुँचने की यात्रा भी बड़ी लम्बी और मनोहर है । पिछले पचास-साठ वर्षों की ऐतिहासिक गवेपणाओं से यह पर्याप्त रूप से सिद्ध हो चुका है कि बुद्ध-पूर्व काल में भी विदेशों के साथ भारत के व्यापारिक सम्पर्क थे। बावेर जातक (३३९) और मुसन्धि जातक (३६०) में हम इन सम्बन्धों की पर्याप्त झलक देख ही चुके हैं। द्वितीयशताब्दी ईसवी पूर्व से ही अलसन्द (अलेक्जेन्डिया) जिसे अलक्षेन्द्र (अलेगजेन्डर) ने बसाया था, पूर्व और पश्चिम की संस्कृतियों का मिलन-केन्द्र हो गया था। वस्तुत: पश्चिम में भारतीय साहित्य और विशेषत: जातक-कहानियों की पहुंच अरव और फिर उनके वाद ग्रीक लोगों के माध्यम से हुई । पञ्चतन्त्र में अनेक जातक-कहानियाँ विद्यमान हैं, यह तथ्य सर्वविदित है। छठी शताब्दी ईमवी में पंचतन्त्र का अनुवाद पहलवी भाषा में किया गया। आठवी मताब्दी में 'कलेला दमना' गीर्षक से उसका अनुवाद अग्बी में किया गया। कलेला दमना' शब्द 'कर्कट' और 'दमनक' के अग्वी रूपान्तर है । पन्द्रहवी गताब्दी में पंचतंत्र के अरवी अनवाद का जर्मन भाषा में अनुवाद हुआ, फिर धीरे-धीरे सभी यूरोपीय भाषाओं में उसका रूपान्तर हो गया। यह हमने पंचतन्त्र के माध्यम से जातक-कथाओं के प्रसार की बात कही है। वास्तव में मीधे रूप मे भी जातक ने विदेशी साहित्य को प्रभावित किया है और उसकी कथा भी अत्यन्त प्राचीन है। ग्रीक साहित्य में ईसप की कहानियाँ प्रसिद्ध है। फ्रेंच, जर्मन और अंग्रेज विद्वानों की खोज से सिद्ध है कि ईसप एक ग्रीक थे. यद्यपि उनके काल के विषय में अभी पूर्ण निश्चय नहीं हो पाया है। ईसप की कहानियों का यूरोपीय साहित्य पर बड़ा प्रभाव पड़ा है और विद्वानों के द्वारा यह दिखा दिया गया है कि ईमप की प्रायः प्रत्येक कहानी का आधार जातक है ।' यही बात अलिफलैला की कहानियों के सम्बन्ध में भी है। समुग्ग जातक (४३६) का तो सीधा सम्बन्ध अलिफलेला की एक कहानी में दिखाया ही गया है। अन्य अनेक कहानियो की १. रायस डेविड्स : बुद्धिस्ट बर्थ स्टोरीज़, पृष्ठ ३२ (भूमिका) २. देखिये डा० हेमचन्द्र राय चौधरी का "बुद्धिज्म इन वैस्टर्न एशिया" शीर्षक लेख डा० विमलाचरण लाहा द्वारा सम्पादित 'बुद्धिस्टिक स्टडीज' मे, पृष्ठ ६३९-६४०
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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