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________________ ( २८५ ) जातक - ४६ ) मधुर विनोद से भरे हुए हैं । इसी प्रकार रोमांच के रूप में महाउम्मग जातक (५४६ ) आदि नाटकीय आख्यान के रूप में छदन्त जानक (५१४) आदि, एक ही विषय पर कहे हुए कथनों के संकलन के रूप में कुणाल जातक (५३६) आदि, मंक्षिप्त नाटक के रूप में उम्मदन्ती जातक (५२७) आदि, नीति-सरक कथाओं के रूप में गुण जातक ( १५७) आदि, पूरे महाकाव्य के रूप में वेम्मन्तर् जातक ( ५४७ ) आदि एवं ऐतिहासिक संवादों के रूप में ५३० और ५४४ संख्याओं के जातक आदि, अनेक प्रकार के वर्णनात्मक आख्यान 'जातक' में भरे पड़े हैं, जिनकी माहित्यिक विशेषताओं का उल्लेख यहाँ अत्यन्त संक्षिप्त रूप से भी नहीं किया जा सकता । बुद्धकालीन भारत के समाज, धर्म, राजनीति, भूगोल, लौकिक विश्वाम, आर्थिक एवं व्यापारिक अवस्था एवं सर्वविध जीवन की पूरी सामग्री हमें 'जातक' में मिलती है । 'जातक' केवल कथाओं का संग्रह भर नहीं है । बौद्ध साहित्य में तो उसका स्थान सर्वमान्य है ही । स्थविरवाद के समान महायान में भी उसकी प्रभूत महत्ता है, यद्यपि उसके रूप के सम्बन्ध में कुछ थोड़ा-बहुत परिवर्तन है । बौद्ध साहित्य के समान समग्र भारतीय साहित्य में और इतना ही नहीं समग्र विश्व - साहित्य में 'जातक' का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है । इसी प्रकार भारतीय सभ्यता के एक युग का ही वह निदर्शक नहीं है बल्कि उसके प्रसार की एक अद्भुत गाथा भी 'जातक' में समाई हुई है । विशेषतः भारतीय इतिहास में 'जातक' के स्थान को कोई दूसरा ग्रन्थ नहीं ले सकता । बुद्धकालीन भारत सामाजिक आर्थिक, राजनैतिक जीवन को जानने के लिए 'जानक' एक उत्तम साधन है । चूंकि उसकी सूचना प्रामङ्गिक रूप से ही दी गई है, इसलिए वह और भी अधिक प्रामाणिक है और महत्त्वपूर्ण भी । ' 'जातक' के आधार पर यहाँ बुद्धकालीन भारत का संक्षिप्ततम विवरण भी नहीं दिया जा सकता । जातक की निदान कथा में हम तत्कालीन भारतीय भूगोल- सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण सूचना पाते हैं । वहाँ कहा गया है कि जम्बुद्वीप ( भारतवर्ष ) दस हजार योजना बड़ा १. देखिये डा० विमलाचरण लाहा के ग्रन्थ " Geography of Early Buddhism" में डा० एफ० डब्ल्यू० थॉमस का प्राक्कथन ।
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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