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________________ ( २० ) अत्तनगलुविहारवंस - दाठावंस -- छकेसधातुवंस - गन्धवंस - सासनवंस, उपसंहार । पृष्ठ ५४७-५८२ दसवाँ अध्याय काव्य, व्याकरण, कोश, छन्दःशास्त्र, अभिलेख आदि विषय-प्रवेश - काव्य-ग्रंथ - अनागतवंस तेलकटाहगाथा -- जिनालंकार -- पञ्चगतिदीपन लोकप जिनचरित - पज्जमधु -- सद्धम्मोपायन दीपसार या लोकदीपसार - रसवाहिनी करण बुद्धालंकार -- सहस्सवत्थुप्पराजाधिराजविलासिनी - पालि का व्याकरण - साहित्य और उसके तीन सम्प्रदाय -- कच्चान- व्याकरण और उसका सहायक साहित्यमोग्गल्लान-व्याकरण और उसका सहायक साहित्य - अग्गवंस-कृत सद्दनीति और उसका सहायक साहित्य - अन्य पालि व्याकरण -- पालि कोशअभिधानप्पदीपिका -- एकक्खरकोस – छन्दः शास्त्र --- बुत्तोदय आदि---- काव्य - शास्त्र -- -सुबोधालंकार -- पालि का अभिलेख - साहित्य, उपसंहार । पृष्ठ ५८३-६४३ V -- - उपसंहार भारतीय वाङ्मय में पालि साहित्य का स्थान -- पालि और विश्व - साहित्य | पृष्ठ ६४४–६४७
SR No.010624
Book TitlePali Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatsinh Upadhyaya
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2008
Total Pages760
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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