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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ७४५] १६. काष्टासंघ-नन्दीतट गच्छ २८५ नरेंद्रसागर इत्थं वदति श्रीइंद्रभूषण तारण तरण ॥ ८९ (म. ४९) लेखांक ७४१ - न्यायप्रमान मुखाग्र जु बोलत वादिगजांकुस मर्दतु रे । त ब्रह्म रुपाधि कहे जु यनीपेरे इंद्रभूषण सोभतु रे ॥ १२ (म. ४९) लेखांक ७४२ - इंद्रभूषण हे सूर दूर कृत अन्य मतेंद्रह । काष्ठासंघ शंगार हार तस मध्य मुनेंद्रह ॥ जिनदास कहे सुर कुर मनमथ वादी मारये । कुवादवादींद्र उंद्र सकलही हारये ॥ १४८ (म. ४९) लेखांक ७४३ - चारित्रपात्र त्रिभुवनविदित सील सौख्य शोभे सदा । द्विज विश्वनाथ इम उच्चरे इंद्रभूषण सेवो मुदा ॥ १२१ . (म. ४९) लेखांक ७४४ - रत्नत्रय यंत्र सुरेंद्रकीर्ति संवत् १७४४ सके १६०९ फाल्गुण सुद १३ श्रीकाष्ठासंघे लाडबागडगच्छे भ. प्रतापकीर्त्याम्नाये बघेरवालज्ञातौ गोवाल गोत्रे सं. पदाजी भार्या तानाई...प्रणमंति । श्रीकाष्ठासंघे नंदीतटगच्छे भ. इंद्रभूषण तत्पट्टे भ. सुरेंद्रकीर्तिः ॥ (ना. ५७) लेखांक ७४५ - मेरु मूर्ति संवत १७४७ शाके १६१२ प्रमोदनाम संवत्सरे ज्येष्टमासे कृष्णपक्षे सातम बुधवासरे नंदीतटगच्छे भविध [विद्या] गणे भ. श्रीरामसेनान्वये For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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