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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ७२६] १६. काष्टासंघ-नन्दीतटगच्छ २८१ लेखांक ७२२ - बारामासी मुगति वरी श्रीनेमि जिनेश्वर राजुल स्वर्ग सुख पावत रे । विद्याभूसन पाट दिवाकर सूरि श्रीभूसन सोभत रे ॥ काष्ठासुसंघ विख्यात प्रसिद्ध ये नंदीतट गछ सुहावत रे । चंद्रसुकीर्तिके सिष्य विराजत बोलत लक्ष्मण पंडित रे ॥ १३ ( ना. १२३) लेखांक ७२३ - तीन चउवीसी विनती काष्ठासंघ उदयाचल भान । सूरि श्रीभूषण पट्ट बखान ॥ चंद्रकीर्ति सूरीश्वर जान । तास शिष्य लक्ष्मण बोले बान ॥ १९ ( म. २०) लेखांक ७२४ - पार्श्वनाथ विनती काष्ठासंघे गुणह गंभीर । सूरिश्रीभूषण पट्ट सुधीर । चंद्रसुकीर्ति नमित नरसीस । सेवक लखमन चरन विसेस ॥ १२ ( म. ३२) लेखांक ७२५ - राजकीर्ति चंद्रसुकीर्ति पट्टोधर राजसुकीर्ति राया मण रंजी। वानारसि मध्य विवाद करी धरी मान मिथ्यातको मनकुं भंजी ॥ पालखी छत्र सुखासन राजित भ्राजित दुर्जन मनकु गंजी। हीरजी ब्रह्म के साहिब सद्गुरु नाम लिये भवपातक भंजी ॥ २१८ ( म. ४९) लेखांक ७२६ - गादी लाल गुलाल राजकीर्ति गुरु बैसे सही । हेमसागर एवं वदति मिथ्या तिमिर छेदे सही ॥ ११४ (म. ४९) For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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