SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ६६२] १६. काष्ठासंघ--नन्दीतट गच्छ २६७ लेखांक ६५७ - गादी मूडा अति भला काष्टासंघ मंगलकरण । जयसागर एवं वदति श्रीरत्नभूषण वंदो चरण ॥ ८ ( म. ४९) लेखांक ६५८ - एसा करियदे बाजा दिगंबर राजा कलुलनयरी प्रवेशतही । कहि जयसागर विद्या आगर रत्नभूषण गुरु आवतही ॥ ७ लेखांक ६५९ - तीर्थजयमाला जय जिनवर स्वामी पय सर नामी कर जोडी मन भाव धरी । जयसागर वदो पाप निकंदो रत्नभूषण गुरु नमस्करी ॥ लेखांक ६६० - पार्श्वपंचकल्याणिक विबुधनरनिषेव्यः पंचकल्याणकाले। विमलतरजलाद्यैरर्चितो भव्यधुंदैः ।। जयजलनिधिपारै रत्नभूषाख्यवंद्यो । निखिलभुवनकीर्तिः पार्श्वनाथोऽवताद् वः ।। २६ (म. २७) लेखांक ६६१ - पार्श्वमूर्ति जयकीर्ति सं. १६८६ वर्षे चैत्र वदी ३ भौमे भ. श्रीरत्नभूषण भ. जयकीर्ति हूंबदहातीय...पार्श्वनाथं प्रणमति । (बडौदा दा. पृ. ६७ ) लेखांक ६६२ - आदिनाथ पूजा केशवसेन कुसुमांजलिं किल रत्नभूषणमाप्रणम्य कवीश्वरं । For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy