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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org २५६ लेखांक ६४२ - प्रतापकीर्ति भट्टारक संप्रदाय लेखांक ६४३ - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काष्ठासंघ शृंगार लाडवागड गछ सोहे | नरेंद्रकीर्ति गुरुराय वादीपंचानन मोहे ।। कलबर्गा पातस्याह जैननि समस्या पुरावी पीरोजसाहा माण पालखी अंतरिक्ष चलावी ॥ तस पाट सोहे वादी विकट प्रतापकीर्ति सूरिवर जयो केदारभट्ट पाथरी नगर राजसभा मांहि जीतियो || 1 [ ६४२ - For Private And Personal Use Only ( म. ४९ ) काष्ठासंघ शृंगार जु सोभत लाडवागड गछ दिवाकर रे । बादि विकट वांकुश हस्त में चामर पीछी छाजतु रे ॥ नरेंद्रकीर्ति वा दिगजकेशरी अंतरीक्ष पालखी चलावतु रे । प्रतापसुकीर्ति वादिगजकेशरी मानत भूप सुपंडित रे ॥ ( म. ४९ ) त्रिभुवनकीर्ति लेखांक ६४४ - बिरुदावली श्रीमलय कीर्तिपट्टधराणां ।। श्रीलादवर्गट गच्छविपुलगगनमार्तंडमंडलानां भट्टारक श्री मनरेंद्रकीर्ति सद्गुरुचरणकमलाराधनकुशलानाम् ॥ सकलविबुधमुनिमंडली मंडितचरणारविंदानां समुन्मूलित मिध्यात्वतरुकंदानां श्रीमत्प्रतापकीर्तियतिचक्रवर्तिनाम् ।। तेषां पट्टे भट्टारक श्रीत्रिभुवनकीर्तिदेवगुण रत्नभूषणयतीनाम् ॥ तेषां सद्गुरूणामुपदेशेन अद्येह देवगिरिमहास्थानवास्तव्येन श्रीमद्वयाघ्रवालज्ञातीयमुखमंडनेन ॥ ( म.. ११७ )
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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