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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२२ भट्टारक संप्रदाय [५७४ - लेखांक ५७४ - शांतिनाथचरित्र .. इह जोयणिपुरु पुरवरहं सारु जहु वण्णणि इह सक्कु वि असारु । ... 'पञ्चतणिवइ संगहइ दंडु रायाहिराउ बब्बरु पयंडु । ''जहि मुणिवर सत्थइ वायरंति महजण्ण पूय सावय करंति । . . 'तह कट्ठ संघ माहुर वि गच्छि पुक्खरगण मुणिवर चइवि लच्छि । जसमुत्ति वि जसकित्ति वि मुणिंदु भव्वयणकमलवियसणदिणेंदु । तहु सीसु वि मुणिवरु मलयकित्ति अणवस्य भमइ जगि जाह कित्ति । तहु सीसु वि गुणगणरयणभूरि भुवणयलि सिध्दु गुणभहसूरि । तहु पयभत्तउ साहु भोयराउ जाणिजइ । गुणवट्ठियइ णिवास जोयणिपुरि णिवसिज्जइ ॥ · · 'एयाहँ मज्झि साहारणेण काराविउ एहु गंथु तेण । कम्मक्खय वि णिमित्तें सारउ संतिणाहचरिउ वि गुणारउ । ...विक्कमरायहु ववगयकालइ रिसिवसुसरभुवि अंकालइ । कत्तिय पढम पक्खि पंचमि दिणि हुउ पुरिपुण्णु वि उग्गतइ इणि ।। ( अ. ५ पृ. २५४) लेखांक ५७५ - (धनदचरित्र ) अथ संवत्सरेस्मिन् श्रीनृपविक्रमादित्यराज्ये सं. १५९० वर्षे मार्गशिर सुदि ११ दिने बृहस्पतिवारे अश्विनीनक्षत्रे परिघजोगे श्रीकुरुजांगलदेशे सुलितान मुगल काबली हमायुराज्य प्रवर्तमाने श्रीकाष्ठासंघे माथुरगच्छे पुष्करगणे भ. श्रीमलयकीर्तिदेवाः तत्पट्टे भ. श्रीगुणभद्रसूरिदेवाः तस्य शिष्य मुनि धर्मदास तस्य आम्नाये अग्रोतकवंशभूषणे गर्गगोत्र दहीरपुरवास्तव्य श्रावकाचारविचारणैकविदग्धान् सा. डालू ॥ (अ. ५ पृ. ५०) लेखांक ५७६ - ( उत्तरपुराण-पुष्पदंत ) भानुकीर्ति संवत् १६०६ वर्षे मार्गसिर वदि ८ अष्टमी तिथौ भृगुवासरे आदौ अश्लेषातारे मघानाम्नि नक्षत्रे शुभनाम्नि योगे भयाणाजनपदे अब्राह्याबाद शुभस्थाने सुरिसाह सलेमसाहि विजयराज्ये श्रीमत्काष्ठासंघे माथुरान्वये For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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