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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१६ भट्टारक संप्रदाय [५५१ - लेखांक ५५१ - बिजौलियामंदिर लेख गुणभद्र श्रीमन्माथुरसंघेभूद् गुणभद्रो महामुनिः । कृता प्रशस्तिरेषा च कविकंठविभूषणा ॥ ८७ .. प्रसिद्धिमगमद्देवः काले विक्रमभास्वतः । षड्विंशद्वादशशते फाल्गुने कृष्णपक्षके ॥ ९१ तृतीयायां तिथौ वारे गुरौ तारे च हस्तके । धृतिनामनि योगे च करणे तैतिले तथा ॥ ९२ ( भा. २१ पृ. २२) लेखांक ५५२ - देवी मूर्ति ललितकीर्ति संवत् १२३४ वर्षे माघ सुदी ५ बुधे श्रीमान् माथुरसंघे पंडिताचार्य धर्मकीर्ति शिष्य ललितकीर्तिः । वर्धमानपुरान्वये सा. प्रामदेव भार्या प्राहिणी ॥ [ आमला Indian Culture वर्ष ११, पृ. १६८ ] लेखांक ५५३ – पदकर्मोपदेश अमरकीर्ति बारह सयइ ससत्तचयालिहि विक्कमसंवच्छरहु विसालहि ॥ गणहि मि भदवयहु पक्खंतरि गुरुवारम्मि चउहसि वासरि ॥ इक्के मासे इहु सम्मियउ सई लिहियउ आलसु अवहत्थिउ ॥ परमेसर पइं गवरसभरिउ विरइयउ णेमिणाहहो चरिउ ॥ अण्णु वि चरित्तु सव्वत्थसहिउ पयडत्थु महावीरहो विहिउ ।। तीयउ चरित्त जसहर णिवास पद्धडिया बंधे किउ पयासु ॥ टिप्पणउ धम्मचरियहो पयडु तिह विरयउ जिह बुझेइ जडु ॥ सक्कयसिलोयविहि जणियदिहि गुंफियउ सुहासियरयणणिही धम्मोवएसचूडामणिक्खु तह झाणपईउ जि झाणसिक्खु ।। छक्कम्मुवएस सहु पबंध किय अहसंख सइ सञ्चसंध ॥ सक्कयपाइयकव्यय घणाई अवराई कियई रंजियजणाई॥ [ अ. ११ पृ. ४१४ ] For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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