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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भट्टारक संप्रदाय [२४५ -- लेखांक २४५ - (प्रवचनसार) अथ संवत्सरे श्रीविक्रमादित्यगताब्दाः संवत् १४९७ वर्षे ज्येष्ठ सुदि १३ शनिवासरे श्रीटोडा महादुर्गे श्रीमूलसंधे सरस्वतीगच्छे भ. पद्मनंदिदेवा तत्पट्टे भ. श्रीशुभचंद्रदेवा गुरुभ्राता श्रीमदनदेवास्तत्सिष्य ब्रह्म नरसिंह तत् पुस्तकात् मया सुंदरलालेन लिपिकृता इंदोरमध्ये स्वपठनार्थः संवत् १९३० ॥ (रायचन्द्र शास्त्रमाला, बम्बई, १९३५, प्रशस्ति ) लेखांक २४६ - पट्टावली संवत् १४५० माह सुदि ५ भ. शुभचंद्रजी गृहस्थ वर्ष १६ दिक्षा वर्ष २४ पट्ट वर्ष ५६ मास ३ दिवस ४ अंतर दिवस ११ सर्व वर्ष ९६ मास ३ दिवस २५ ब्राह्मण जाति पट्ट दिल्ली ॥ (ब. १०) लेखांक २४७ - सिद्धांतसार जिनचंद्र पवयणपमाणलक्खणछंदालंकाररहियहियएण । जिणइंदेण पउत्तं इणमागमभत्तिजुत्तेण ॥ ७८ (माणिकचंद्र ग्रंथमाला, बम्बई) लेखांक २४८ - पट्टावली संवत् १५०७ जेष्ट वदि ५ भ. जिनचंद्रजी गृहस्थ वर्ष १२ दिक्षा वर्ष १५ पट्ट वर्ष ६४ मास ८ दिवस १७ अंतर दिवस १० सर्व वर्ष ९१ मास ८ दिवस २७ बघेरवाल जाति पट्ट दिल्ली ॥ [च. १०] लेखांक २४९ - पार्श्वनाथ मूर्ति सं. १५०२ वर्षे वैसाख सुदी ३ श्रीमूलसंघे भ. श्रीजिनचंद्र वाकुलिया गोने साहु प्रमसी तत्पुत्र राजदेव नित्यं प्रणमंति ॥ (भा. प्र. पृ. १३) For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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