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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भट्टारक संप्रदाय [१८५ - लेखांक १८५ - रविवारव्रतकथा विषय वराड मझारि सुनग्र कर्णखेट धनधान्य समग्र । सुपार्श्वदेव चैत्यालय तुंग दर्शन पेखत पातकभंग ।। १२० तपपट्टोदयशिखरि सूर्य शक्रकीर्ति भूमंडल वर्य । तत्पद्रभूषण श्रीगुरुराज धर्मचंद्र गछपति क्षिति गाज ॥ १२२ तस सेवक बुध ऋषभ धुरीन रची कथा व्यंजन स्वर हीन । संवत अष्टादश तेतीस श्रावण सुदि बारसि रवि दीस ।। १२३ गंगेरवाल सु आंबड्या हीरवा रघुजी भ्रात । ते वचने कीधी कथा सुणता मंगल ख्यात ।। १२५ [ब. ५२] लेखांक १८६ - अकृत्रिम चैत्यालय जयमाला देवेंद्रकीर्ति श्रीमद्धर्मसुचंद्रपट्टविलसद्देवेंद्रकीर्तिस्तुतान ये ध्यायति सदार्चयंति च बुधास्ते स्युः शिवश्रीप्रियाः ॥ ६४ वर्षे नभोजलधिनागहिमांशुमाने सार्धे सिते प्रवरपंचमिकां तिथौ वै। कर्ताद्यसाख्यसदुपासकपुत्रवाक्यात् संनिर्मितावतु जनान् जयमालिकेयम् ॥ ६५ ( ना. १२०) लेखांक १८७ - नंदीश्वरपूजा संमत १८४१ शके १७०६ मिति कार्तिक कृष्ण एकादशी तिथौ सोमवारे भ. देवेंद्रकीर्तिना लिखितेयं पूजा स्वहस्तेन ॥ [ ना. ४३] लेखांक १८८ - अकृत्रिम चैत्यपूजा शाके रसाभ्रनगचंद्रमिते सहर्जे मासे सिताष्टमितिथौ गुरुवासराये । श्रीधर्मचंद्रमुनिशक्रसुकीर्तिनामा For Private And Personal Use Only
SR No.010616
Book TitleBhattarak Sampradaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV P Johrapurkar
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1958
Total Pages374
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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