SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्मरण हो गया था। परमात्मा के चरण दर्शन से आप मे एक विशेष अनुभूति पैदा हुई। तब से आपके जीवन की दिशा प्रकट हुई। अनासक्त भाव, समरसता, आत्मदर्शन आदि गुण आप मे आविर्भूत हुए। यह सब देखते हुए परम गुरुवर्या पूज्य मुक्तिप्रभाजी म0 सा0 ने चातुर्मास काल मे आपको इसी स्तोत्र पर प्रवचन करने का आदेश दिया। आपने उस आदेश को जीवन की मगल अभ्यर्थना समझकर स्वीकार किया, जो आज एक प्रवचन माला की माला के रूप मे आपके जीवन का उपहार बनने जा रही है। स्तोत्रकार ने स्तोत्र को भी माला कहा है, यह उस माला की बनी प्रवचन माला है। लीजिए गले से लगाइये, हृदय में उतारिये और भाग्यशाली बनिये। -साध्वी अनुपमा Los
SR No.010615
Book TitleBhaktamar Stotra Ek Divya Drushti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDivyaprabhashreeji
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1992
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy