SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 670
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'महाभारत की सूक्तियां १. बिभेत्यल्प ताद् वेदो, मामयं प्रहरिष्यति । २ तपो न कल्कोऽध्ययन न कल्क, स्वाभाविको वेदविधिनं कल्क. । प्रसह्य वित्ताहरणं न कल्कस्, तान्येव भावोपहतानि कल्कः ॥ ३ नवनीतं हृदय ब्राह्मणस्य, वाचि क्षुरो निहितस्तीक्ष्णधारः । तदुभयमेतद् विपरीतं क्षत्रियस्य, वाङ् नवनीतं हृदय तीक्ष्णधारम् ॥ ४ अहिंसा परमो धर्म सर्वप्राणभृता वर. । १. गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित सस्करण । * अक क्रम से सर्ग और श्लोक के सूचक हैं | - श्रादिपर्व * १।२६८ - १।२७५ -३।१२३ - ११1१३
SR No.010614
Book TitleSukti Triveni Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1968
Total Pages813
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy