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________________ यजुर्वेद की सूक्तियां १ मैं असत्य से हटकर सत्य का आश्रय लेता हूँ। २. तुम तृप्तिकर्ता धान्य हो, अत. देवतामओ (सदाचारी लोगो) को तृप्त करो। ३ तू तेजस्वी है, दीप्तिमान है, और अविनाशी एव निर्दोप होने के कारण अमृत भी है। ४. हमारे आशीर्वचन सत्य हो । ५. हे प्रभो ! तुम स्वयमू हो,-स्वयं सिद्ध हो, श्रेष्ठ एव ज्योतिर्मय हो। तुम ब्रह्म तेज के देने वाले हो, मत मुझे भी ब्रह्म तेज प्रदान करो। * वाजसनेयि-माध्यंदिन-शुक्ल-यजुर्वेद सहिता, भट्टारक श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा सपादित (वि० स० १९८४) सस्करण । -शुक्ल यजु. संहिता, आचार्य उध्वट तथा महीधर कृत भाष्य सहित, चौखम्बा, (वाराणसी) संस्करण । नोट-यजुर्वेदान्तर्गत टिप्पण आचार्य उध्वट तथा महीधरकृत भाष्य के है।
SR No.010614
Book TitleSukti Triveni Part 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1968
Total Pages813
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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