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________________ अभाव का अधकार निराशा को जन्म देता है। निराशा भविष्य के भव्यचित्र को धूमिल बना देती है । परन्तु इसमे कोई सन्देह-नही है कि वर्तमान के कुहासे मे.सी एक.- उज्जल भविष्य उसकी प्रतीक्षा कर रहा है । लेकिन मानव भविष्य मे जो कुछ भी उपलब्ध करेगा, -,उसका श्रेय उसके, वर्तमान, के कर्म -प्रधान अनुभव को ही जायगा । हमारा वर्तमान का कर्म ही अच्छे अथवा बुरे भविष्य का निर्माता है। हमारा आज का पुरुषार्थ आने वाले कल का भाग्य है । अपने जीवन की डोर हमारे स्वय के हाथो.मे है। - अपना दिशा, निर्धारण हमे रवय ही करना है, कोई अज्ञात शक्ति हमारी नियता नही । इसलिए हम अपने पुरुषार्थ को, जगाएं, निराशा से धूमिल होते भविष्य के चित्र को बचाएं और उसे सत्कर्म के सुनहरे रंगो मे सजाएं। चिन्तन-कण | १११
SR No.010612
Book TitleChintan Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Umeshmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1975
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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