SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥ श्री रामजी ।। अथ वात राव जोधाजीरी लिख्यते राव जोधो काहूनी गाडै वास कियां विराजै । तद नापो सांखलो ईयां थको चीतोड राणैजी गोठै हुतो, सु नापै कहाय म्हेलियो-'जु श्रीरावजी पछ ही कदै राव रिणमलजीरै वैर पधारसो तो आज पधारज्यो ।' तद रावजी तयारी कर असवार हुआ। तद पूछियो-'जु मेहवै जावतान वसती कठे-कठे आवसी ?' लोकै वीनती कीवी-'जु, श्रीरावजी ! वसती ठिकाणे थोड़े छ । पण ठिकाणे आगे से मोढी मूळवाणीरा गाडा छ । तद उठारा चढिया मोढी मूळवाणीरै गाडां आया। मोढीनं खबर हुई। तद मोढी घणा वांना किया', आय उतरिया तद मोढी विचारयो-'परमेश्वर ! राव जोधै सरीखो प्रांहणों अठै कद-कद श्रावसी ? भगत किसू कीजै ?' सु किणहीक साहूकाररी मजीठ अर फळ खाड थांपणू थकी पडी हुती' । अर घी गायांरो घणो ही हुतो। तद विचारियो-'जु आ मजीठ पर खांड पछै कद काम आसी11 ?' अबै मजीठ खोटी अर मैदो करायो । घी खांड घात _I राव जोधा काहूनी गावके पास गाडोमे घर वना कर रह रहे है। 2 उन दिनोमे नापा साखला इनकी ओरसे चित्तौडमे राणाजीके पास रहता था। नापाने सदेश भेजा कि 'यदि रावजी (जोधाजी) राव रिणमलके वैरका वदला लेनेको कभी पानेका विचार हो तो आज आ जायें ।' 3 मेहवे जानेके मार्गमे कौन-कौनसे गाव आयेंगे ? 4 लोगोने अर्ज किया कि रावजी ! 'मार्गमे वस्ती बहुत कम स्थानो पर है ।' 5 परतु आगे सब जगह (जहा-जहा वस्ती है) मोढी मूलवानीकी गाडा वस्ती है। 6 तव वहाके चढे हुए मोढी मूलवानीकी गाडा-बस्तीमे आये। 7 मोढीने बहुत खातिर की। 8 आकर ठहरे तव मोढीने विचार किया कि 'भला परमेश्वर । राव जोधा जैसा अतिथि यहा कव-कव आयेगा?' 9 किस भाति इनका आतिथ्य किया जाय ? 10 किसी साहूकारकी मजीठ, सूखा मेवा और खाड उसके यहा गिरवी रखे हुए थे। II यह मजीठ और खाड फिर कव काम प्रायेगी? 12 अब (तब) मजीठको कूट करके उसका मैदा वनवाया।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy