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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ८५ १७ सुरतांण । १८ राघो। १८ अचळो। १८ वीरो। १८ रामसिंघ । १७ खेतसी। १८ कलो। १८ मनोहर । केहेक रांमरा वीकानेर छै । रावळ जैतसी देवीदासरो । देवीदासरै पछै पाट बैठो । वरस ३५ मास ४ दिन १० जेसळमेर राज कियो। सुसतो सो ठाकुर हुवो । राव लूणकरण वीकावत वीकानेररो धणी, देवीदासरो दोख विचार जेळसमेर ऊपर आयो । वडांणी राजवाई तळाई कोसै २ जेसळमेरसूं, डेरो कियो, धरती मारी" । रातीवाहो भाटिये देणरो विचार कियो', सु भाटी नरसिंघदास देवीदासोत परो काढियो थो, राव वीकारो दोहीतरो, सु रावजीरै साथै हुतो। पछै प्रागै इणांनूं खबर हुई सु प्रागै साथ तैयार हुय बैठो। तरै कटक री पाखती भीटहरा ४ प्राण राखिया था", भाटियांरो साथ नैडो पायो तरै भीटहरा लगाय दिया। रातरो चांनणो हुवो । तरै राठोड़ चढ़नै वांस घातिया', नै भाटी आगै नीसरिया, तठे घणो साथ भाटियांरो मारियो । वेढ राठोड़ां जीती। एक वात युं सुणी' । रावळ जैतसी बूढो हुवो। पछै इणरै बेटै जैसिंघदे, नारणदास, रांम, पुनसी इण मिळनै रावळनूं को दिन अटक _I रामके कई वंशज बीकानेरमें रहते हैं। 2 देवीदासका पुत्र रावल जैतसी। 3 जो देवीदासके बाद गद्दी पर बैठा। 4 यह कुछ सुस्तसा (अकर्मण्य) शासक हुया। 5 बीकानेरका स्वामी लूणकरण बीकावत देवीदासके इस अवगुणका ख्याल करके जैसलमेर पर चढ कर आ गया। 6 जैसलमेरसे दो कोस पर वडाणी गांवकी राजवाई नामक तलाई पर उसने डेरा डाला और देशमें लूट-मार मचा दी। 7 इस पर भाटियोंने रात्र्याक्रमण करनेका विचार किया। 8 राव बीकाका दोहीता, देवीदासका बेटा भाटी नरसिंहदास जो जैसलमेरसे निकाल दिया गया था, वह राव लूणकरणके साथमें था। 9 इनको । 10 तव सेनाके पास चार कांटोंके बड़े ढेर ला कर रख दिये थे (भीटहरो, वीठोड़ोवेरी वक्षकी पतली कँटीली शाखाओंका अमुक परिमाणमें बनाया हुआ एक ढेर)। I जला दिये। 12 रातको प्रकाश हुआ। 13 तब राठौड़ोंने पीछा किया। 14 भाटी आगे भाग गये। 15 वहां भाटियोंके बहुतसे मनुष्योंको मार दिया। 16 राठौड़ोंने लड़ाई जीती। 17 एक बात इस प्रकार भी सुनी गई है।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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