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________________ ८२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात १६ नेतो परवतरो, रा ॥ मोहणदास राजावतरो चाकर । रा ॥ भोपत साथै काम आयो । १२ रावळ चाचो वैरसीरो। रावळ वैरसी पछे टीक बैठो । वरस १६ मास ११ जेसळमेर राज कियो । सु एकरसूं थटै किणी कांम गयो थो । पाछो वळतो ऊमरकोटरो धणी सोढो मांडण, तिणरै परणियो । सु ऊमरकोट नै जैसळमेर सदा अदावत थी, सु राणा मांडणरा भतीज भोजदे, भींवदे तिणांनूं रावळ क्युं अकर बोलियो थो; तरै भोजदे चूक कर रावळनूं मारियो । पछै भाटिए कोस २ डेरो करनै उठे देवीदासनूं तेड़ियो। तेड़ने ऊमरकोट भेळियो' । रांणो मांडण नीसरियो । वांस कोस ८ आपड़नै मारियो । भोजदे, भींवदे एकरसूं तो नीसरिया, नै पछै सवारै सात-वीसी आदमियांसू आय मुंवा' । न मांडणरो माथो वड़ टांगियो । नै ऊमरकोट पाड़ने ईंटा जेसळमेर ले गया; तिणरो करणारै मोहल करायो । गीत साखरो छत्रपत सुरतांण चाच साझेवा", फूटी दह-दिस वात फुड़ी। I पर्वतका बेटा नेता राव मोहनदास राजावतका चाकर, राव भोपतके साथ मारा गया। 2 वैरसीका पुत्र रावल चाचा । रावल वैरसीके पीछे गद्दी पर बैठा। इसने १६ वर्ष ११ मास जैसलमेरमें राज्य किया। 3 वह एक बार किसी कामसे थट्ट गया था । 4 वहांसे लौटते हुए उमरकोटके स्वामी मांडणके यहां विवाह कर लिया। 5 परंतु उमरकोट और जैसलमेरमें सदासे शत्रुता थी। रावल चाचाने राणा मांडणके भतीज भोजदे और भींवदेको एक गर कुछ अपशब्द कहे थे, इसलिये तव भोजदेने धोखा कर के रावल चाचाको मार दिया। 6 फिर साथके भाटियोंने उमरकोटसे दो कोस पर अपना डेरा डाल कर चाचाके बेटे देवीदासको बुला लिया। 7 वुला करके भाटियोंने उमरकोटको घेर लिया। 8 राणा मांडण भाग गया। 9 आठ कोस पीछे भाग करके उसको पकड़ लिया और मार दिया। 10 भोजदे और भींवदे भी एक बार तो भाग गये थे, परंतु दूसरे दिन १४० आदमियोंके साथ आये और लड़ कर मर गये। II भाटियोंने मांडणके सिरको एक बड़ वृक्षमें टांग दिया। 12 और उमरकोट (के कोट) को गिरा कर उसकी ईंटें जैसलमेर ले गये जिनसे करणका महल बनवाया। 13 साक्षीका गीत (छंद)। 14 चाचाको मारनेके लिये। 15 दशों दिशाओंमें वात फैल गई। .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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