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________________ ६० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात भेद दियो। नै कोई कहै छ, सुरणाई वजाई, तिणमें काई वात जणाई। केई कहै छै, भीमदे आदमी मेल कहाड़ियो, “गढरो संचो तूटौ छै', ओ दूध दीठो जिको भँडसूरियांरो छ, थे पाछा पाय उतरो" । दिन २ नै तथा ३ नै रावळ गढरा किंवाड़ नांखसी ।" तरै मुगल फिर पाछा उतरिया । तरै रावळ दूदै तिलोकसी मरणरो विचार कियो । भीमदे भेद दियो तिणरो हो गेमी नांव धरावियो, आसावत अणजाण । भाटी दीनो भीमदे, तव गढ भेद प्रमाण ।।१ वात रावळ दूदै पहलै दिन जमहर कियो, तरै सोढी रांणी रावळसूं अरज करी-"क्युंही रावळे11 डीलरो सहनांण पाऊं।" तरै अंगूठो पगरो काटि दियो । दसमीरै दिन जमहर हुवो नै एकादसीरै दिन । रावळरै मरणरो विचार छै, सु रावळरी बेटी १ वरस : नवरी छै. सु आग मांहै. पैसती डरै, बळी न छै", सु दसमरी रात आधी गई छै नै वा डावड़ी15 रावळ दूदै कनै छै । नै रावळ कनै रजपूत मरणीक' हुय रह्या छ । तिणां मांहै रजपूत १ धाऊ भेछळो वरस . १५रो कंवारो छै; सु मरणीक जूंझारां माहै रह्यो छ, तिको रावळरी पगथळी खुजाकै छै। उण निसासो नांखियो, तरै रावळ कह्यो"कुण वास्तै२° ? आप तो सरगरा हेड़ाऊ छां1, तोनूं दिलगीरी मनमें क्यूं आई ?" तरै धाऊ भेछळे कह्यो-“दूजी तो दिलगीरी काई नहीं ___I शहनाई बजाई । 2 जिसमें किसी सांकेतिक वातकी सूचना दी । 3 कई कहते हैं कि भीमदेने आदमी भेज कर कहलवाया । 4 गढका संचय खत्म हो गया। 5 यह दूध जो देखा है वह ग्राम-शूकरियोंका है। 6 तुम लोग वापिस लौट कर मुकाम कर दो। 7 गिरा देगा। 8 देशद्रोही। 9 मूर्ख । 10 कुछ भी। II आपके, श्रीमानके। 12 शरीरका। 13 रावलकी पुत्री एक नौ वर्षकी है। 14 जली नहीं है। जौहर नहीं किया है। 15 लड़की। 16 पास। 17 मरनेको तत्पर। 18 उनमें । 19 उसने निःश्वास छोड़ा। 20 किस लिये । 21 हम तो वीरगतिको प्राप्त कर स्वर्गमें एक साथ जाने वालोंमें हैं। 22 कुछ भी।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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