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________________ ५४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात परणीजण आयो हुतो सु किणही सूल व्याह तो न हुवो', नै मांगणं . . घणा भेळा हुवा । तिणां विना परणियां त्याग दियो । जसहड़रा बेटा १ रावळ दूदो। १ तिलोकसी। १ वांगण। १ सांगण । १ आसकरण । रावळ दूदो जसहड़ोत नै तिलोकसी जसहड़ोत अ बेहूं भाई, जसहड़रा बेटा । जसहड़ पाल्हणरो। पाल्हण काल्हणोत । सो अ क्युंही टीकायत हुता नहीं। मूळराज, रसनसी काम पाया तरै गढ़ : पातसाह लियो नै रांणा रतनसीरा बेटा घड़सी, कानड़, ऊनड़-मूळ- ... राजरा । भायेलो कमालदी थो, तिणनूं बीज' उबारगनूं सूपिया था, सु कमालदी जीव ज्यां राखै छै । पछै पातसाहनूं खवर हुई तरै कमालदी घोड़ां ४ चाढ नै काढिया सु झै नागोर आया । पछै गढ़ सूनो पड़ियो; तद रावळ मालदेजीरी वडी ठकुराई थी सु राठोड़ जगमाल मालावत गढ सूनो देख नै लेणरो विचार कियो। गढ़में वसणरी तयारी कीवी। गाडा ३०१ सीधारा' भर चलाया सु जाय गढ़ पोहता'", सु बारहठ रतनूं चंद्रव मालारो विखायत थको महेवै रह्यो थो", तिण'। जांगियो गढ़ माहरा ठाकुरांसूं जाय । तरै भाटी दूदो तिलोकसी जसहड़रा बेटा पारकर रेहता उणां13 खवर कराई, जु-"गढ़ लीजै छै ।" तरै दूदो तिलोकसी प्राय गढ मांहे पैठा" सु जगमाल बांसाथी आयो । तरै आगै घोड़ारो घंस दीठो', तर कह्यो-'अ कुण' ?" तरै वारहठ चंद्रव राठोड़ जगमाल कनै1 .. रहतो सु बारहठ कह्यो-"वीजो तो कोई इसड़ो1 भाटी जांणियो .......... ............... .................... जैता सालोड़ी पीपल-बड़ लग्नमें विवाह करनेको आया था परन्तु किसी कारण . विवाह नहीं हो सका । 2 परन्तु वहां मांगने वाले बहुत इकट्ठे हो गये उनको विना विवाह हुए ही त्याग (विवाहका दान) दिया। 3 दोनों। 4 तव । 5 मित्र । 6. जिसको। 7 वंश। 8 ये। 9 भोजन सामग्रीके | 10 पहुँचे। II मालाका बेटा रतनूं-बारहठ चंद्रव .. संकट कालमें मेहवेमें रहा था। 12 उसने । 13 उनको। 14 गढ ले रहे हैं। 15 प्रवेश ... किया। 16 पीछेसे। 17 तव आगे घोड़ोंका झुंड देखा। 18 ये कौन ? .19 पास । ' 20 दूसरा। 21 ऐसा ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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