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________________ ३२ ] मुंहता नैणसीरी म्यात लाखारो-घट अ जागीर छै, थटैरा पातसाही चाकर' । तेरे माणस २०००री जोड़ । उण मंगरियांरा ३ धड़ा छै-१ चांवडदे, १ वीरमदे, १ ढेढिया । इणांरै मुदै गांव वीरमो छै। वीजार" साहळवो छ । तीजारै गांव झड़वो-सुरड़ियो छ । गांव चाळीस वसै छै। सूनी धरती घणीही छै । पांणी पुरसै १४, कठेही पुरसै ३०, कटही ६० . साठे' । चांडीसो महादेव उठे छै । तठं मकर-संक्रांत लागें तद दिन आठ पांणी वैहत १ हेढ़ नीसरै" । रावळ वछु मुंधरै पाट बैठो । रावळ दुसाझ वछुरो। रावळ दुसाझरा बेटा १ रावळ जेसळ । १ रावळ विजैराव लांजो । १ देसळ, जिणरा अभोहरिया भाटी10 । राहड़ अांक ४०, रावळ विजैरावरो वेटो । तिण राहड़ारे इतरी . ठोड़ जैसळमेररै देस गांव ३ खाडाळ मांही । भोपत राहड़ोतरा पोतरा। २ वाराहा, नहवरथा कोस १० तठै धड़ा २, १ पुनराजरो, १ साजनांरो। १ देवरासर तळाव मांथै गांव २० बसे। कोहर नहवरथा कोस ५ छै । १ नीलपो। १ समदड़ो। १ काका। १ देवरी- . सररी वावड़ी । १ वीखरण माह वावडो १४०१ वणी' । १ राहड़धोधो रांणा राहड़ोतरा पोतरा, गांव माळोगड़ो । ऊमरकोटरै काठ12 जैसळ मेरथा कोस १५: तठे घर ५० तथा ६० । तिण नजीक गांव I सांखली, खुहियो और लाखारो-घट ये तीन गांव जागीरीके हैं जो (जागीरदार) थट्टेके वादशाहके चाकर हैं। 2 इनके पास दो हजार मनुष्योंकी (सुभटोंकी) जोड़ है। 3 उन मंगलियोंके चावड़दे, वीरमदे और ढेढिया ये तीन धड़े (विभाग) हैं। 4 वीरमो इनका खास गांव है। 5 दूसरोंका, दूसरे धड़े वालोंका। 6 तीसरे धड़े वालोंका। 7 कहीं-कहीं ६० पुरुप नक गहरा। 8 वहां चंडीश्वर महादेवका (मन्दिर) है। 9 जव मकर-संक्रांति लगती है तब वहां (उस निर्जल भूमिमें) आठ दिन तक सिर्फ एक बालिस्त नीचे ही पानी निकलता रहता है। 10 देसल, जिसके वंशज अभोहरिया भाटी हैं। II वीखरणमें एक वावड़ी सं० १४०१में बनी हुई है । 12 किनारे (सीमा) पर। 1 3 से। . . .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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