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________________ ३३० ] मुंहता नैणसोरी ख्यात 1 8 । - 0 3 14. मारने ॐठ घाल ल्याया । भूंजाई तयार हुई हुती । श्राय प्रारोगण बैठा । पातळां पुरसी छै । सहु को जोमै छै । तिसड़े प्रायने वाहरुवा कह्यो”–'राज ! पनोतेरै वाह एक वडो वाराह ग्रायौ छै ।" युंहीज ऊठियो । घोड़े पलांण' मांडियो । तयार हुय तुरत ग्रसवार चढियो । चारण साथै चढियो । चढतां भोईं कह्यो रे, पनोतेर वाहळ भूंजाई करिज्यो ।' भूंजाई ग्रोथ' जायने तयार कीधी । ग्राप जाय वाराह मारियो । जितरं" पूठो बळियो" तितरे" देखे तो भुंजाई तयार छे । ग्राय पांतिये बैठा । श्रारोगता हुता । ग्राधोइक जीमिया हुता" नै वाहरू प्राया । ग्रायनै कह्यौ - 'कोलर तळाव एक नाहर नाहरी ग्राया छै ।' ताहरां ग्रध - जीमिया ऊठिया " । चढि दोड़िया । चारण पण '' साथै चढियो । जावतां " कह गया हुता " 'कोलररै तळाव भूंजाई करज्यो ।' वळे" "भोईयां जायने" कोलर रै तळाव भूंजाई तयार करी । आप जाय नाहर मार अपूठा आया?" । ग्रा भूंजाई तयार हुई छै । अर आया । ग्रागै घणो सीरो पुड़ी देवजीरोटो" तयार हुवो छै । सरव साथ प्राय भूंजाई बैठो। भूंजाई जीमने अपूठा घरै आया ' 1 7 18 22 24 मारग मांहै ग्रावतां चारण विदा की " । कह्यो - 'जी, 25 26 नाडूळ निजीक छै ।' ताहरां चारणनूं विदा दी । चारणरै घोड़े ऊपरची ली" । जितरै नाडूळ हूं" " निजीक आयो । कोस १ रही । ताहरां° पुकारियो–'वाहर रे ! वाहर रे !! बाहर 31 !!! ताहरां लोक 7 28 29 30 9 उधर । करने वालोंने ) कहा । 10 जितनेमें । II 14 भोजन करते थे । पांचों वाराहों को मार और ऊंटों पर डाल कर ले आये ! 2 थी । 3 पत्तलें परोसी गई हैं । 4 सभी भोजन कर रहे हैं । 5 इतने में ग्राकर के बाहरुयोंने ( हेरा 6 नाले पर । 7 जीन । 8. एक जाति । पीछे फिरे । लौटे । 12 इतने में । 13 आकर पंक्ति में बैठे । 15 लगभग श्राधा भोजन किया था । 16 तत्र प्राधा भोजन किये हुए ही उठ गये । 17 भी । 18 जाते हुए । 19 थे। 20 फिर 21. जा कर । 22 लौट आये । 23 एक प्रकारकी वाटी । 24 भोजन कर के वापिस घर पर आये | 25 मार्ग में आते हुए चारण रवाना हुआ । 26 नजदीक 1 ऊपरका ( निकटका ) मार्ग लिया । 28 इतने में 1 करो, पीछा करो । 29 से । 27 चारणके घोड़ने 30 तव । 31 पीछा
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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