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________________ २४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात देवराजनूं देख प्रसन्न हुवो। देवराजरो दिन पिण वळियो सु सांमीरै मनमां भली हीज आई । दिन १ तो सांमी देवराजनूं वात पूछी ही नहीं । देवराज सेवा निपटही घणी करै, सु सांमी एक समै देवराजनूं एकलो देखनै कह्यो-“बाबा ! उण कूपारो कांसू विचार हुवो' ?" .. तरै देवराज कह्यो-"जिका वात हुई सु बाबाजीतूं मालम छ। मोनूं तो क्यूं राज सोंपियो न थो । नै जि• भलो छै, जिको रावळो प्रसाद छै ।” सु देवराजसू सांमी प्रसन्न हुयनै कह्यो-“वात हुई सु म्हे जांणी । हिमैं तूं नांव, सिक्को मांहरो माथै ऊपर राख ।" तरै देवराज कह्यो-“भली वात । म्हारै माथै भाग, जो राजरा हाथ माथै ऊपर हुसी । कतो हूं मोटो हुईस, नै मांहरी धरती गई छै सु वाळीस' । मांहरो दावो वरिहाहां माहै छ, सु वळसी। राजरी मैहरथा मांहरै सोह वात भली हुसी ।" तरै जोगी देवराजनूं कह्यो-“थारा बळ रो विरद वधो' ।" नै मेखळी, नाद दियो, पात्र दियो, नै कह्यो"श्रो थे पाट बैसो तद दीवाळी दसरावै धारिया करो।" । तरै जोगी वावै कयो सु यां कबूल कियो । तरै जोगी आपरी मेखळी, नाद, पात्र देवराजनूं दिया । तिका मेखळी देवराज गळे में घाती'; नाद गळा माहै घालियो;1 पात्र प्रागै मेलियो; नै जोगीरो सिक्को ... धारियो । तरै जोगी खुसी हुय दवा दीनी' ।-कह्यो-"थांहरी ठाकु- . राई दिन दिन वधसी, थांहरै पगसूं आ धरती कदै नहीं जाय, थांहरा दावा वळसी ।" सु जोगी तो दवा दे रमतो हुवौ नै देवराज वरि-. हाहां माथै मारंणनूं साथ भेळो कियो, सु हुरड़ रोजरो रोज14 वरिहाहांनूं खबर दे नवा-नवा रूप करि । तिण कर वरिहाहांनूं देवराज .. I देवराजका दिन भी फिरा (सुदिन अाया)। 2 उस कुप्पेका क्या किया ? . 3 मुझे तो कोई आपने सौंपा नहीं था। 4 और जो कुछ अच्छा है वह अापकी कृपाका फल है। 5 अब तु हमारा नाम और सिक्का अपने मस्तक पर धारण कर । 6 वहुत अच्छी बात, मेरा नौभाग्य जो आपके हाथ मेरे सिर पर होंगे। 7 और मेरी धरती गई है उसको लौटाऊंगा। 8 अापकी कृपाले मेरी सब वातें भली होंगी। 9 तेरे बलकी कीत्ति बढ़ो। 10 पहिनी, डाल दी। II पहिन लिया। 12 तब योगीने प्रसन्न होकर आशिप दी। 13 तुम्हारे पांवोंसे यह धरती कभी नहीं जायेगी और तुम्हारे स्वत्व तुमको मिलेंगे। 14 प्रति दिन । . .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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