SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 308
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात कह्यो-'गांमरो ठाकुर ।' ताहरां कह्यो-'किही ऊवलं हो।' कह्यो-'जी, वीरमजीर गुढे जावो तो ऊबरो। ताहरां घोड़े पलांग मांडि असवार हुवो। वैरने साथै ले बहीर हुवो। वीरमजीरै गुडे जाय पहुंतो । खबर हुई, ताहरां साथ अपूठो गयो । कह्यो-'जी, ऊ तो वीरमजीरै गूढै गयो। ताहरां जगमाल बैस रह्यो । ____ दिन ५१७ वीरमजी दलै नू राख अर विदा दीनी' । ताहरां दलै कह्यो-'वीरमजी ! अाज वाळा दिन थांहरा दिया छ । जे थे . मांहरै गूडै अावस्यो तो म्हे थांरा हीड़ा करस्यां' । थाहरा रजपूत छां10 ।' ताहरां दलैनू वीरमजी पोहचतो कियो। ____ पछै मालैजीरा वैटा नै वीरमजी बणे नहीं । ताहरां वीरमजी महेवो छाडनै जेसळमेर प्रायो। जेसळमेर ही टिकियो नहीं । ताहरां अपठो नागोर आयो । नागोर ही रह्यो नहीं'। ताहरां नागोररै देसरो उजाड़ कियो। गांम लूटि अर जांगळू पाया। ताहरां.. जांगळू माहै ऊदो मूळावत हुतो'। कहियो-'वीरमजी ! थे आघा.. खड़ो। म्हांसू थे राखिया न जावो'" । नागोररो थां उजाड़ कियो । ... वांस वाहर हूं पालीस' । थे प्रागै जोईये पधारो।' ताहरां दीरमजी.. आधा जोईयां पधारिया। वांस साथ नागोररो अायो । प्राय जांगळू डेरो कियो। यो कोट जड़ि वैस रह्यो । ताहरां खांन ऊदैनू कहाड़ियो-'माल ल्यावो, अर ... ____I किसी प्रकार बचू भी। 2 स्त्रीको साथ लेकर रवाने हुना। 3 पहुंचा। 4 जब यह मालूम हुअा (कि दला यहांसे चला गया है) तो जगमालका साथ लौट गया।... : • 5 वह । 6 तव जगमाल विवश होकर बैठ गया। 7 पांच-सात दिन रख कर वीरमजीने दलेको जानेकी आज्ञा कर दी। 8 तब दलेने कहा-वीरमजी! ये दिन आपके दिये हुए ... . हैं। 9 तुम हमारे गूढे (निवास-स्थान) पर आवोगे तो हम तुम्हारी सेवा करेंगे। 10 हम तुम्हारे राजपूत हैं। II अब मालाजीके वेटों और वीरमजीके पटती नहीं। 12 जैसलमेरमें भी टिक नहीं सका। 13 तव लौट कर नागौर पाया। 14 तव नागौर प्रान्तको उजाड़ कर दिया और वहांके गांवोंको लूट कर जांगलू आ गया। 15 था। 16 वीरमजी ! : : ग्राप आगे चले जायं, हमारेले पापका रखना बन नहीं पाता। 17 आपके पीछे वाहर आयेंगी उसको मैं रोकूगा। 18 तब वीरमजी आगे जोईयोंके यहां चले । “19 यह कोट बंद करके... वैठ गया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy