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________________ २६६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात वोलियो-'रावळ मलीनाथजीरी प्रांण छै, वोलो तो। मोनू उतरण द्यो' । ताहरां रायसिंघ हूं जोरावरी कुंभी उतरियो । जायन डेरै माहै हेमैनूं तसलीम कीधी । हेमैं कह्यो-'सावास कुंभा.!' ताहरां हेमो कहै-'कुंभा ! तूं घाव कर ।' कुंभो कहै-'हेमाजी ! थे घाव करो ।' हेमो कहै-'कुंभा ! तू वाळक छ । म्ह घणा नींब बंधाया . छै ।' ताहरां कुंभो कहै छै–'हेमाजी ! थे घाव करो।' हेमो कहै'कुंभा ! थारै अजेस पिंड लोह नहीं लागो छै, बाळक छ । तूं घाव . कर । हूं वडेरो छ, घाव क्यूं करूं' ?' कुंभो कहै-हेमाजी ! वरसै थे वडा, पण पगै म्हे वडा। थां मांहरौ धांन पलैमें लियो, थे मांहरा चाकर, तै में वडा, थे घाव करो ।' ताहरां हेमै कह्यो-'हूं कासू.. करूं ? तू न रहै हीज' ?' ताहरां हेमै घाव कियो कुंभैन। वढ़खपर पैडो वाढि, टोप वाढि, मुंहारा वाढि, कांणेठे प्रावती रही। कूभै घाव कियो, सु हेमैरा दोय धड़ा किया। हेमो पड़ियो । ताहरां कुंभ कटारी काढि हेमैरै होय में मारी। पकड़ि ताड़ियांने भांज नांखी11। कह्यो-'मालांणा कटकांनू कहज्यो, कटारी हेमैरी छाती में भांगी. छ, हुड़ियां ऊपर नहीं मांगी छ । यु कहतां कुंभैरो हंस उडियो । . 1 तब कुभाने कहां-'तुम्हें रावल मल्लीनाथजीकी सौगंध है, यदि बोले तो ! मुझे ही उतरने दो।' 2 तव रायसिंहसे हठ करके कुंभा घोड़ेसे उतरा। 3 डेरेमें जाकर . . हेमेको प्रणाम किया। 4 कुंभा कहता है कि 'हेमाजी ! पहले प्रहार तुम करो। 5 हेमा कहता है कि-'कुंभा ! तू बालक है। मैं तो अनेक वार प्रहारों पर नीमके पट्टे वंवा चुका हूँ । अर्थात् अनेकों प्रहार महन किये हैं । नींव बंधावणो - घावों पर नीमके पट्टे वैधवाना। 6 तेरे शरीरमें अभी तक कोई प्रहार नहीं लगा है। ..7 मैं बड़ा हूं, मैं पहले कैसे प्रहार ... कह ? 8 कुंभा कहता है; हेमाजी ! वर्पोमें तुम बड़े जरूर हो, परंतु पदमें मैं बड़ा हूं। तुमने हमारा अन्न खाया है, हमारे चाकर हो और फिर आयुमें वड़े। अतः पहले तुम घाव . . . कारो।' 9 तव हेमाने कहा-'जब तू मानता ही नहीं है, तो मैं क्या करूं? विवश हूं।' ..: 10 तब हेमाने कुंभे पर प्रहार किया। तलवारकी बाढ़ ऐसी चली कि जिससे गोल चक्केकी :भांति खोपड़ी कट गई, टोप कट गया और भौंहोंको काटती हुई कानकी नोक पर आ लगी। JI कुंभेने ऐसा प्रहार किया कि हेमाके दो टुकड़े कर दिये। हेमा गिर गया । कुंभेने अपनी कटारी निकाल कर हेमेकी छाती में भारी और फिर उसको पकड़ कर ऐसा फिराया कि पसलियोंकी हड्डियां तोड़ती हुई उसकी ताड़ियाँ भी टूट गई। 12 पासमें खड़े हुए अपने . आदमियों को कहा कि.---'मालागा पाटवाके सरदारोंको कहना कि कटारीको. हेमाको छातीमें : तोड़ा है, मेढों पर नहीं तोड़ा है।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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