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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात . [२८३ ताहरां सिरदार हुतो, तिौनू मालो लेगयो । बीजा बीजी ठोड़ें मेलिया । ताहरां बीजै ठाकुरै लेजाय करोड़ीरा आदमी मारिया । . अर मालै सिरदारनू घरै लेजाय अर घणा हीड़ा किया। दिन पांचमैं . पछै कह्यो-'जु, कानड़दे मराया है। पण हूं तोतोनू मारूं नहीं । बीजा थांरा सरव कानड़दे मारिया छ ।' ताहरां किरोड़ी कह्यो-'जे माला ! हूं दिली जीवतो पहुंतो तो तो धरतीरो धणी कराईस ।' बांह बोल दियो । मालै आपरो साथ साथै दे अर किरोड़ीनू दिली पहुंचतो कियो । ताहरां किरोड़ी दिली जाय पातसाह प्रागै पुकार घाली'जु कानड़दे सरव आदमी मारे । अरु मेरी तांई मालै जीवता उबारया। माला हजरत का खासा बंदा है। बड़ा सांमधरमी है । लायक है ।' ताहरां पातसाह हुकम कियो-'मालैकू महेवा दिया ।' ताहरां किरोड़ी आदमी मूंकियो। मालैनूं तेड़ियो । मालो साथ भेळो करनै दिली गयो । जाय पातसाहरै पावै लागो । पातसाह मालैनूं निवाजियो । रावळरो टीको दियो । उठे कितराइक दिन रह्यो । वांस कानड़देजी देवगत हुवा । ताहरां त्रिभुवणसी टीकै बैठो। ताहरां मालो पातसाहसू विदा हुयनै देस आयो । त्रिभुवणसी साथ भेळो करनै मालसू लड़ाई कीधी। त्रिभुवणसी घावै पड़ियो14 । साथ भागो। ताहरां त्रिभुवणसी ई दारै परणियो हुतो सो ईदा लेगया । लेजायनै घाव बंधाया। ताहरां माले दीठो–'त्रिभुवणसी जीवतां राज आवै नहीं।' ताहरां त्रिभुवणसीरो भाई पदमसी हुतो", तिगर्ने भखायो -'तू त्रिभुवणसीनू मार तो तो टीको देवां ।' ताहरां ___ I उसको । 2 दूसरोंको दूसरी जगहोंमें भेजा। 3 सेवा। 4 परन्तु मैं तो तुझको मारूगा नहीं। 5 माला ! यदि मैं दिल्ली जीवित चला गया तो देशका स्वामी तुझको बनवा दूंगा। 6 परस्परं वचनबद्ध हुए। 7 मालाने अपने मनुष्योंको साथमें दे कर करोड़ी को सुरक्षित दिल्ली पहुँचवा दिया। 8 तब करोड़ीने दिल्ली जाकर बादशाहके आगे पुकार की। 9 मालाको बुलवाया। 10 जाकर बादशाहके पांवों लगा । II बादशाहने मालाके ऊपर कृपा की। 12 रावलकी पदवी देकर तिलक किया। 13 पीछे कान्हड़देजी परलोक पहुँच गये। 14 त्रिभुवनसी घायल हुआ। 15 लेजा करके घावों पर पट्टे बंधवाये । 16 तव मालाने देखा। 17 था। 18 उसको बहकाया । 19 तेरेको ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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