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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २७६ भक्तरी तयारी करां ।' ताहरां डाभी जाय पासथांनजीसू मिळिया। सरव हकीकत कही। आदमी मेलियो खेड़नू-भगतरी तयारी करज्यो । रावजी प्रासथांनजी पधारसी ।' ___इयां भगतरी तैयारी कीधी । आगै डाभियां गोहिलांनूं कह्यो'जु थे ठाकुर छो*, म्हे थांहरा चाकर छां, म्हे थांसू बराबरी करां तो कासू होवै ? पाखर तो म्हे थांहरा चाकर छां। जीमणी बगल गोहिल ऊभा रहै"; डावी वगल डाभी ऊभा रहसी । ज्युं पहली राव आसथांनरो साथ थांसू मिळे, पछै म्हे मिळस्यां ।' डाभियांसू गोहिल खुसी हुवा' । युं करतां राव आसथांनजी पधारिया । डाभियां गोहिलांसूचूक करायो । मांहै पधारिया । ताहरां डाभियां कह्यो''जी', डाभी डावै, गोहिल जीमण ।' ताहरां जीमणी तरफ उतरिया। गोहिल सरव मारिया । डाभी सरव उबारिया' । खेड़ राव आसथांनजी लीधी। पछै आप खेड़ हीज रह्या। खेड़ राज कियो। तठासूखेड़ेचा कहांणा । ॥ इति वात संपूर्ण । I जिससे मिहमानीकी तैयारी करें । 2 3 डाभियोंने खेड़को मनुष्य भेजा और कहलाया कि मिहमानीकी तैयारी करना। 4 पाप मालिक हैं। 5 दाहिनी तर्फ गोहिल खड़े रहें, और वांई तरफ डाभी खड़े रहेंगे। 6 पहिले प्रासथानजीका लोक आपसे मिले। 7 प्रसन्न हुए। 8 डाभियोंने गोहिलों को धोखेसे मरवाया। 9 भीतर आये तब डाभियोंने अासथानजीसे कहा कि महाराज ! (बड़े आदमीको उसके नामसे संबोधन नहीं करके 'जी' शब्दसे किया जाता है) डाभी बांई तरफ है, गोहिल दाहिने हाथकी तरफ हैं। (इसमें यह भी स्वारस्य है कि शत्र दाहिने हाथको हों तो हाथका दाव बहुत अच्छा रहता है)। 10 तव दाहिनी ओर तलवार चलाई। II बचा दिया। 12 तबसे "खेड़ेचा' कहलाये। (अन्य ख्यातों और गीत छदों आदिसे पता चला है कि आसथानजीसे गोहिलोंके प्रधान प्रासा डाभीने, गोहिलोंको मरवा कर खेड़का राज्य उन्हें दिला देनेका षड़यंत्र रच कर, आसथानजीको खेड़के स्वामी प्रतापसिंह कल्याणमलोतकी बेटी व्याहने का निश्चय किया । प्रासथानजीने वहाँ पर कुछ विवाद उपस्थित कर मोहिलोंको मार कर खेड़ राज्य गोहिलोंसे छीन लिया। पासा डाभीको अपने कब्जे में कर खेड़का राज्य छीन लेने का एक पुराना सोरठा भी प्रसिद्ध है गोहिल गळ हथियेह, खेड़ धरा खागां मुहै। प्रासो अपणायेह, गह भरियो बळ गजियो ।।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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