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________________ [ १५ 3 रखपाळ ॥ २ मुंहता नैणसी ख्यात हराउत' खागधारी" रेरणा चाच कालहण सालवाहण जसल चाह, दुसाझ वछुह मुंध देद विजपाळ | हुवा तेणे वस हुवो हिंदूकार हरि हंस, राव राजा जांणै रांणा रावळ रंढाळ * ॥ ३ तणु केहर मंभमराव मांगळराव तुंगेस, भूपाळे भूपाळ भाटीवटी " वखत - वडाळ" । जादव जगत-जेठा' जेसा भीमेण जेम', जांणरणा छतीस भाख साख उजवाळ ।। ४ बाळ बुधतणा ब्रद सोढाळ गज समांग, वरज अनुरुध वंस सूरत विसाळ | पूरो, प्रदमन कान्ह पाट परम भगत 10 सुवरण सुजांण देह सोहै साखपाळ ॥ ५ भाटी छत्राळा कहीजै छै तिणांरी" वात । संमत १७०६३ फागुण सुद १५ प्राढा महेसदास किसनावत कही, जिगरा दोय भेद 11 2 १ रावळ टीके से " तरै 13 छत्र प्रापरै बारहटां माथै मंडावै, सुदान छत्र दियो, तिण छात्राळा कहावै' 1 .14 15 १ कहवत यूं छै" - एक गढ़ां मांहै दिली छत्र, एक गजनी छत्र, हिंदुसथांनरा गढां ऊपर है जैसलमेर छत्र । तिण कारण भाटी छात्राळा कहीजै । 6 वात 17 भाटियांरी सोमवंसी विंस पुरांण मांहै इणांरी'' उतपत कहीपहला तो ऋष्णजीरा बेटा प्रदमनरी 18 औलाद, गुणां गीतां मां कह्या छै । नै जाड़ेचा भुज नवानगर 19 भाटी धरणी, भै 4 जबरदस्त । 1 हराका बेटा । 2 खङ्गधारी । 3 पृथ्वीकी रक्षा करने वाला । 5 भाटी क्षत्रियोंका देश, भाटीपा । 6 भाग्यशाली । 7 जगत में श्रेष्ठ । 8 जैसलमेर । 9 जिस प्रकार | 10 जिनकी । II जिसके दो भेद हैं । 12 बैठे । 13 तब । 14 जिससे छात्राला कहाते हैं । 15 एक लोकोक्ति यों भी है । 16 हिन्दुस्थानके गढ़ों ऊपर जैसलमेर छत्र है इस कारण भाटी छत्राला कहे जाते हैं । 17 इनकी । 18 प्रद्युम्नकी । 19 ये ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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