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________________ ___ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १९३ ..... ४ कान्हो। भोजराज मालदेवोतरो चाकर । भोजराज साथै कांम आयो। .. ५ प्रथीराज कान्हावत । सं० १६६७ बालो गूंदोचरो पटै । संमत - १६७० अरटियो पीपाड़रो। पछै गोधावस दियो। संमत १६७१ - अजमेर भाटी गोयंददासजी साथै काम आयो। ६ सांकर प्रथीराजोत । संमत १६७२ अरटियो गांव २ सूं . वरकरार । संमत १६८४ पूनासर ।' संमत १६८७ सांवळतो। संमत १६६२ अमरसिंघजीरै गयो । ६ दूदो प्रथीराजोत । ७ भींव. दूदावत । ७ केसरीसिंघ दूदावत । ६ जगनाथ प्रथीराजोत । ५ सिंघ कान्हावतः। ६ भोपत सिंघोत । ६ भोजराज सिंघोतः। ६ भांण सिंघोतं । ५ वाघ कान्हावत । कांन्ह साथै काम आयो । ४ मैहकरण तेजसीयोत । डूंगरपुर कांम आयो। ५ मानसिंघ मैहकरणोत । माळवा दिसी थो। संमत १६७५ ..... आयो तद गोघेळाव दियो । ६ परतापसिंघ मानसिंघोत । सं० १६८६ जाल्हणारी मुंहम काम आयो । ६ स्यांमसिंघ मानसिंघोत । काठासी पट । ६ ईसरदास मानसिंघोत । ५ सांवळदास मैहकरणोत । खटोड़ो पटै। पछै छाडनै करमसेनजीरै वसियो । पछै उठे घोड़ारी लात लागी तिणसं मंवो।। . I, सम्वत् १६६७में गूंदोचका बाला गांव, सम्वत् १६७०में पीपाड़ परगनेका अरटिया गांव और फिर गोधावस. गांव. पट्ट में दिये थे । सम्वत् १६७१में भाटी गोयंददासजीके साथ अजमेर में 'काम पाया। 2 सम्वत् १६७२में दो और गांवोंके साथ अरटिया कायम । सम्वत १६८४ में पूनासर, सम्वत् १६८७में सांवलता गांव पट्टे में दिये । सम्बत् १६६२में अमरसिंहजीके यहाँ चला गया। 3 : मालवाकी अोर था. । संवत् १६७५में पाया तव गोघेलाव गांव पट्ट में दिया । 4 संवत् १६८६ जालनाकी लड़ाई में काम प्राय।। 5 खटोड़ा गांव पट्ट में था उसे छोड़कर करमसेनके यहां जाकर रहा । वहां घोड़ेकी लात लगी जिससे मर गया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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