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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १८१ ७ पीथो कांन्हावत । बोडवी, सांवतकुवो पटै थो। पछे राज सिंघजी र वसियो' । ७ दूदो कांन्हावत । ६ कमो हमीरोत । ५ वैरसल सांकरोत | मोटै राजाजी फळोधी, लोहावट वेढ काम आयो । ३ प्रचळ भैरूदासोत । रांणारै चीतोड़ चाकर हुतो । गांव १४० तांणो पटै हुतो । नै वसी सोझतरै चोपड़ै हुती । तठे रामदास मालणरो बाप जेसैजी मारियो हुतो, तिण दावै अचळानूं रामदास प्रादमियां हसूं चोपड़े मार गयो । ४ संसारचंद अचळावत । रा ।। मांडण कूंपावतरे वास थो । संमत १६२४ रा ।। पतो नगावत रांणाजीरो गांव झूठाड़ियो मारियो', तद मांडणजी रांणाजीरै वास था, सु मांडणजीरा पटारा गांवां आगे पतो नीसरियो; तद रांणजी मांडणजीनूं कहाड़ियो' - "आपणा गांव मारने पतो थांहरै आगे हुय नीसरियो नै थे मूंबिया नहीं" " । हिमै थे पिण जाय एक गांव मारो " ।" तरै मांडणजी चावळो भाद्राजणरो मारियो " । सु चावळामें प्रभो सांखलो रैहतो, तिणसूं वेढ हुई त संसारचंद ही कांम आयो । 0 1 2 ५ सांवळदास संसारचंदरो। सांखलां संसारचंदनूं मारियो, तिण वैरमें सांवळदासनूं सांखलां बेटी परणाई, वैर भागो" । तिण सांखली रै वोड़वी और सांवतकूवा गांव पट्टे में थे । पीछे राजसिंहजी के यहां रह गया । 13 2 चित्तौड़ में राणाजीका चाकर था । 3 १४० गांवोंके साथ तारणा गांव पट्टेमें था । 4 श्रौर सोजत परगने के चौपड़ा गांव में उसकी बसी थी। 5 जहां रामदास के बाप मालरणको जैसाजीने मार दिया था। 6 उस शत्रुता के बदले में रामदास, अचलाको ६ आदमियोंके साथ चौपड़ा गांव में मार कर चला गया । 7 सम्वत् १६२४ में पत्ता नगावतने राणाजीका झूठाड़िय। गांव लूट लिया। 8 मांडणजीके पट्टे के गांवोंके ग्रागे ( पास में ) हो कर पत्ता निकला | 9 कहलवाया । 10 अपने गांवों को लूट कर के पत्ता तुम्हारे आगे होकर निकल गया और तुम उससे लड़े नहीं । II अब तुम भी जाकर उसका एक गांव लूट लो । 12 तब मांडर जीने _भाद्राजुन के पट्टेके चावला गांवको लूट लिया । 13 सांखलोंने संसारचंदको मारा, उस शत्रुताको मिटाने के लिये सांखलोंने संसारचदके वेट सांवलदासको अपनी बेटी व्याह दी, शत्रु ता मिट गई ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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