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________________ मुंहता नैणसोरी ख्यात [ १६५ जोधपुर श्रावता था, भावी डेरो हुवो, तद गांव ४सू वालरवो, कूड़ी दिया । गढ़ ऊपर रैहता । संमत १६६६ रांम कह्यो । .... ६ हरदास कानावत । सं० १६६६सू वालरवैरो पटो गांव ७सूं बरकरार । सं० १६८९ जोधपुर गढ़ ऊपर था तागीर कियो तद अमरसिंघजी साथै गयो । संमत १६६६ काबलथा फिर आवतां वळे वालरवो दियो । गढ़ ऊपर किलेदार कर राखियो । ७ वीठलदास हरदासोत । संमत १६९३में मोखेरी पटै । संमत १६८७ सावरीज गांवां सूं । संमत १६६१ अमरसिंघजी साथै गयो। संमत १६६५ वळे पालो आयो । चोहड़ां, मुंडवाय पटै दिया । ८ जगनाथ । ८ जैतमाल। ८ जेसो। ७ मोहणदास हरदासोत । ८ राजसिंघ । ८ उदैसिंघ । ८ आसो । ८ प्रथीराज । ७ मुकंददास हरदासोत । ८ रामसिंघ। ७ सकतसिंघ हरदासोत । ८ दूदो। ८ संत्रसाल । ७ डूंगरसी हरदासोत । ६ देईदास कानावत । संमत १६५६ सोझत सकतसिंघजीनूं हुई, तद भाटी सुरतांण रावळे साथ जाय सोझत घेरी थी । तद किसनसिंघजीनूं तेड़ण देईदास सुरतांणजी मेलियो थो । सु सुरतांणजी : I इसके बाद वह समावलीमें मोटे राजाके साथमें था। जब वहांसे जोधपुर पा रहे थे, मार्गमें भावी गांवमें डरा हुआ उस समय चार गांवोंके साथ बालरवा और कूड़ी गांव पट्टे में दिये। (मोटे राजाके साथ) गढ़ ऊपर ही रहता था। सम्वत् १६६६में मरा। 2 सम्वत १६६६से ७ गांवोंके साथ बालरवेका पट्टा कायम । 3 सम्वत् १६८६में जव (मोटे राजा द्वारा) जोधपुरके गढ़ परसे जन्तीका हुक्म हुआ तो अमरसिंहके साथ चला गया। 4 सम्वत् १६६६में काबुलसे पाने पर फिर बालरवा दिया । 5 गढ़ पर किलेदार बना कर रखा। 6 दो गांवोंके साथ सम्वत् १६८७में सावरीजका पट्टा । 7 चोहड़ां और मुंडवाय गांव पट्टी में दिये। 8 सम्वत् १६५६में सोजत नगर सकतसिंहजीको इनायत हुअा उस समय भाटी सुर- . ताणने और महाराजाकी सेनाने जाकर सोजतको घेर लिया था। 9 तब सुरताणने किशनसिंहजीको बुलाने के लिये देवीदासको भेजा था। । .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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