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________________ • १६० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात ७ हरीदास सुरतांणोत । संमत १६७५ मैहकर रांमरी मुंहम रांम कह्यो' । ६ रुघनाथ सुरतांणोत । संमत १६८० मेवरो पटै । पछे संमत १६६१ चमूं पटै थी । पछै अमरसिंघजी साथै गया था, संमत १६६५ पाछा प्रणिया । चमूं नै साथांणो मेड़तारो, जेसलां फळोधीरी दिया था । संमत १६६६ डांवर पटै दी थी । पछे संमत १७०४ देसरी खिजमत दी। संमत १७१४ उजेणरी वेढ पूरै लोहे पड़ियो, पैले उपाड़ियो । पछै श्रीजी घणो आदर कर वडो पटो रु० ८००० ) रेख लवेरो घणां गांवांसूं । भोवाळ वधारे दी" । 4 ७ भींक रुघनाथोत । श्रीजीरै वास । ६ मुकंददास सुरतांणोत । संमत १६७१ गोपीसरियो, वारणाऊ पटै । संमत १६८८ नागड़ी खींवसररी । संमत १६९३ वींझवाड़ियो पटै । ७ उदैभांण । ५ साढूंळ मानावत । संमत १६४० लवेरारी वासणी थीं । संमत १६४० राज्ञाजी साथै गुजरात, सोरसूं बळ मुंवो' । ४ पतो नींबारो | नींबाजी पछै पतो ठाकुर हुवो । ५ भोपतपतावत । वसी नींबाजीरी सगळी भोपतजीरै हीज रही पर्छ विखा मांहै गूढा ऊपर रांणाजीरो साथ आयो तठै कांम प्रायो' । ६ ईसरदास भोपतोत । संमत १६४० लवेरारी वासणी गंगा I सम्वत १६७५में महकर में रामकी मुहिम (युद्ध) में काम आया । -2 सम्वत १६६५ पीछा बुलवाया । 3 मेड़ते परगने के चामू और साथारणा और फलोवी परगनेका जेसलां गांव पट्ट मे दिये थे । 4 सम्वत् १७१४में उज्जैन की लड़ाई में पूर्ण आहत हुआ शत्र उसे उठा ले गये। 5 पीछे महाराजाने बड़े सम्मान के साथ रु. ८०००) की रेखका कई गावोंक साथ लवेराका वड़ा पट्टा कर दिया और अतिरिक्तमें भोवाल गांव दिया । 6 मम्वत् खींवसरका नागड़ी गांव और १६४० में राजाजीके साथ मे १६७१ में गोपीसरिया और वारणाऊ गांव, सम्वत् १६८८ में सम्वत् १६९३मे वींभवाड़िया पट्ट में दिये गये । 7 संम्वत • गुजरात गया था और वहां वारूदसे जल कर मर गया । 8 नींवाके मरनेके बाद पता ठाकुर ( जागीरदार) हुआ । 9 नींबाजीकी सव बसी भोपतजीके ही अधिकार में रही । विखेमें जब राणाजीका साथ उसके गुढ़े पर चढ कर ग्राया उसमें भोपतं काम या गया ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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