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________________ १५४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात भाटी अणंद जेसावतरो परवार, प्रांक २३ नींबो आणंदोत । ३ दूदो आणंदोत । ३ परबत आणंदोत । . ३ पीथो आणंदोत । नींबो आणंदोत, अांक ३ । राव मालदेरै वास । लवेरो पटै । लवेरै राजथांन कियो । लवेरै कढाई, दीवडो, भुंजाई, वडो पळो । पछै सूर पातसाहरी वडी वेढ घावै पड़ियो, तरै चाकर उपाड़ ल्याया, . घरै आयां पछै काम आयो । नींवैरा बेटा ४ मांनो नींवावत । ४ पतो नींवावत । ४ रिणमल नींबावत । ४ गांगो नींबावत । ४ किसनो। ४ मूळो । ४ भोजराज । ___ मांना नींबावतरो परवार, प्रांक ४ । मोटो राजा फळोधी, तद .. मांनो चाकर हुतो, कुंडळरी वेढ मांही हुतो । ५ गोयंददास मानावत । ५ सुरतांण मांनावत। भाटी गोयंददास मानावत वडो रजपूत हुवो। संमत १६४० मोट राजारै वास थो। लवेरैरी वासणी पावता । पछै एक वार मोटै राजा दरगाह मेलियो सु काम कर आयो, तरै मोटै राजा रीझनै मांगळो सिवांणारो वधारै दियो । पछै सं० १६४३ वोस ४ लवेरो ___I लवेरेमें अपना राजस्थान (राजधानी) बनाया। 2 इसके समयमें कड़ाही, दीवड़ी, भुजाई और बड़े पळे के लिये लवेरा प्रसिद्ध था (भोजन बनानेके बड़े परिमाणके इन साधनोंसे अपरिमित भोजन सामग्री बनती ही रहती थी)। दीवड़ी =(१) पाथेय, (२) अजाचर्म या कपड़ेका बना एक जलपात्र । भुंजाई-अधिक परिमाण में बनाई जाने वाली मिष्टान्नादि भोजन- ; सामग्री । पळो =(१) तेल घी आदि लेने-निकालने एवं नापनेका एक उपस्कर; (२) शरण ।.. 3 फिर बादशाह शेरशाह सूरके साथ (राव मालदेवकी) बड़ी लड़ाई में घायल होकर गिर या। तब चाकर उठा कर ले जाये और घर जाने के बाद मर गया। 5 मोटा राजा जब.. फनीधीमें था तब माना मोटे राजाज्ञा चाकर था और कुंडलमें जो लड़ाई हुई उसमें वह मौजूद गा। 6 माटी गोवंददास मानावत बड़ा वीर राजपूत हुा । सम्बत् १६४०में यह मोटा राजाके यहां चाकर था । लदेरेले. वासगी गांवका हासल पाता था (उपभोग करता था)। 7 फिर . एक बार मोटे राजाने गोयंददासको बादशाही दरगाहमें जिस कामके लिये भेजा था वह करके ।। या गया, तब मोटे गाने प्रसन्न हो कर मिवाने परगनेका मांगला गांव और दे दिया। ..
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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