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________________ १५० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात १२ वीठळदास गोपाळदासोत । संवत १६६७ कूपड़ावस बीलाड़ारो पटै । संमत १६७४ रेवत जाळोररो' । संमत १६७७ नांदियो लवेरारो । पछै छाडियो । भावसिंघ कांन्होतरै वसियो । ___ रायसिंघ जेसावत । संमत १६६० वाड़ो पीपाड़रो पट। संमत १६६२ मांडवै काम आयो । १० सुरतांण रायसिंघोत। संमत १६६६ सूरजवासणी पटै । . संमत १६८० सिणली धवारी पटै । ११ राघोदास सुरतांणोत । ११ बल सुरतांणोत । संमत १६८६ जुड़ली पटै । ६ गोयंददास जेसावत । सं० १६५२ जैतीवास बीलाड़ारो पटै। संमत १६७१ भाटी गोयंददासजी साथै काम आयो। १० नरहरदास गोयंददासोत । संमत १६७१ गोयंददासजी काम अायो तद लोहडै पड़ियो थो। संमत १६७२ जैतीवास (ब) रकरार । सं० १६६२ रांम कह्यो । ११ रतनसी नरहरदासोत । १० सुंदरदास गोयंददासोत । सं० १६८० भांभेळाई पटै । संमत १६६२ जैतीवास पटै दियो । १० महेसदास गोयंददासोत । सबळसिंघ राजावतरै वास थो। पछै राम कह्यो। ११ कल्याणदास । ६ भांण जेसावत । संमत १६५० राजलो-तेजारो पटै थो। पछ संमत १६५६ विजियावासणी । सं० १६६१ छाडियो । मेड़ते I सम्बत् १६७४ जालोरका रैवत गांव पट्टे में । 2 सम्वत् १६७७ में लवेराका नांदिया गांव पट्टे में । 3 पीछे छोड़ कर भावसिंह कान्होतके यहां वस गया। 4 सम्बत् १६६०में पीपाड़का वाड़ा गांव पट्टे में । सम्बत् १६६२ मांडवेमें काम. पाया। 5 सम्वत् १६८०में घवाका सिगली गांव पट्ट में। 6 सम्बत् १६७१में गायंददासजी काम आये तब यह पाहत हुआ था । सम्बत् १६७२में जैतीवास गांव बरकरार रहा । सम्बत् १६९२में मरा। 7 सम्वत् १६८०में . भाभलाई गांव पट्टे में था और सम्वत् १६६२में जतीवास भी पट्ट में दिया। 8 सम्वत् १६५० में तेजाका-राजला नामक गांव पट्टे में था। 9 फिर सम्बत् १६५६में विजियावासणी गांव पट्टे में।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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