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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १०५ तिण दिन राव रूपसिंघसू पातसाह साहजिहाँ जोर मया करता' । पछ रूपसिंघ पातसाहजीतूं अरज सबळसिंघरी कीवी । सबळ सिंघनूं पातसाहरै पावै लगायो । पछै पातसाहजी बात कबूल कीवी । भाटी रांमसिंघ पंचाइणोत और ही भाटी खेतसीरा पोतरा कितराहेक' सबळसिंघ कनै' आया । पछै तिण समै महाराजा श्री जसवंतसिंघजी पातसाहतूं अरज कराई-"पोकरण इतरा दिन किणही सबब भाटियां हेढ़ दबी, नै छै मांहरी । सु हजरत हुकम करो तो म्हे उरी ल्यां"।" तरै पातसाहजी फरमान कर दियो। श्री महाराजाजी संमत् १७०६रा . वैसाख सुद ३ नै जहांनाबादसू देसमें पधारिया नै जेठमें जोधपुर पधारिया ।. जोधपुरसूं रा ॥ सादूळ गोपाळदासोत, पं ॥ हरीदास फुरमांन देने जेसळमेर मेलिया । तरै रामचंद पांच भाटी भेळा करनै इणांनं जबाब दियो18-"पोकरण पांच भाटी मंवां आवसी16 ।" -- ... तरै जोधपुर कटकरी तयारी हुई, नै उठै पातसाहजीनूं ही खबर हुई "जु रामचंद हुकम मांनियो नहीं15 ।' तिण समै सबळसिंघ रामसिंघ माथै, पेसकसीरा पईसा ठराय चाकरी कबूल कीवी नै जेसळमेररो फुरमांन करायो । भाटी रुघनाथ, और ही भाटी कितराहेक सारा रांमचंदसू फिरिया' । सगळांरा कागळ छांना संबळसिंघनूं आया। I खूब कृपा करते थे। 2 इसलिये सबलसिंहके लिये रूपसिंहने बादशाहसे अर्ज की। - 3 सवलसिंहको बादशाहके पांवों लगवाया। 4 तब सबलसिंहको जैसलमेर दे देनेकी बात बादशाहने कबूल की। 5 भाटी खेतसीके पोते । 6 कितनेक । 7 पास। 8 उस समय । 9 पोकरण किसी कारणवश इतने दिन तक भाटियोंके अधिकारमें रहा, परन्तु वह है हमारा । 10 सो अब यदि हजरत आज्ञा करदें तो हम उस पर अधिकार करलें। II महाराजा जसवंतसिंहजी जहानाबादसे सम्वत् १७०६ की वैशाख सुदि ३ को मारवाड़में आये । 12 जोधपुरसे महाराजाने राव सादूल गोपालदासोत और पंचोली हरिदासको बादशाही फरमान देकर जैसलमेर भेजा। 13/14 तब रामचंद्रने पांच भाटियोंको इकट्ठा करके इनको उत्तर दिया कि पोकरण पांच भाटियोंके मरनेके बाद हाथ लगेगा। 15 तब जोधपुरमें सेनाकी तैयारी हुई और उधर बादशाहको भी यह खवर मिल गई कि रामचंद्रने हुक्म नहीं माना है। 16 उस समय सबलसिंहने जैसलमेरकी अोरसे पेशकशी देनेकी रकम निश्चित कर और चाकरी देना कबूल कर जैसलमेर पर अपने अधिकारका फरमान रामसिंहके (रामचंद्रके) ऊपर लिखवा लिया । 17 वदल गये । .
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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