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________________ 1 २६० ] क्रमांक ग्रन्थाक प्रन्थनाम १५४ | ३५६७ तारादे लोचनारी (२५) सज्झाय ७६१ | त्रिपुराछंद १५५ १६२ (११) ११२२ दातारसूमनो संवाद (६८) ३५५५ | दीपकबत्तीसी १५६ | ३५७३ | थंभणपार्श्वनाथ स्तवन कुशललाभ धमरणया (२४) १५० | १८६२ दर्शनस्तुति १५८ २१७५ | दशवैका लिकभास १८६ | दशवैकालिकस्वाध्याय १६० | २८६३ | दशार्ण भद्रगीत १५६ १६१ (३) १६३ | १८८६ | दुखहरणवेलि (१७) १६४ | २२७८ | देवी आरती १६५ २२=२ देवी आरती १६६ | २३२८ देवीजी की स्तुति १६७ ११२२ | देवीस्तुति (१) १६८ | २२७६ | देवीस्तुति राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर १६६ ३५६७ | देसतरी छंद कर्त्ता राममुनि वृद्धिविजय हीरकलश कुशल राज० १६वीं श. १४६ १४७ गुणानन्द शिष्य रा०गू० २ केसोदास सवाई प्रतापसिंहजी मगनीराम دو भाषा मगनीराम "3 व्र० हि० रा०गू० "" " 13 35 लिपि - समय राज० "9 "" "" " ५ १७वींश. २४ ७ १६वीं श १७वीं श६-८ १६वीं श . ६६-७० जीर्ण प्रति । " पत्र संख्या १८८८ राज० १६वीं श. १४ वां हिन्दी १८६६ ६४ से ६६ ० हि० १६०७ १ १६२० १६वीं श. ० हि० १६०७ १६०७ 155-605 १ १४ ܡ १ १ विशेष समधर कवि | राज० १६वीं श. १५० १५२ आदि प्रमी पार्श्व जिनन्दपद श्रीसदगुरु धरी ध्यान । वाला त्रिपुरा वीनवु, माता दिये बहुमान । पत्र ६ ठा और घा का अभागन | कर्त्ता के हस्ताक्षर हैं । कृष्णगढ़ लिखित | मे कर्त्ता के हस्ताक्षर है । कृष्णगढ़ में लिखित | कर्त्ता के हस्ताक्षर हैं । कृष्णगढ़ में लिखित |
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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