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________________ २५८ ] राजस्थान पुरातत्त्वान्वेपण मन्दिर प्रन्थनाम कर्ता लिपि- पत्रसमय सख्या विशेष ३५७५ चौबीसी स्तवन देवचन्द्रजी रागू० २०वीं श. १-२४ जिनराजसूरि , ३५७५ | चोबीशी स्तवन (३३) १२५ १८३६ | चौवीसदंडकस्तवन (११) धर्मविजय , ,,,| १४२ १५४ १८वीं श. ४-५२/ सं० १७२६ में जैस लमेर में रचना। गुटका। १७वीं श. १७४ हीरकलश , १७५ २८६३ | छिन्नवइजिननमस्कार (११६) २८६३ छिन्नवइजिनस्तवन ११२२ जगडूनो छंद लीलो | राज० १६वीं श २ रा ११०२ जगडूसाहनो जस रा०गू० | , , १० वां (१८) २३५४ | जबानसिहको कवित्त | खुसराम वहि० २०वीं श. जसवंतसिंहजी महा ७ वां राजरा कवित्त जसवंतसिंह तथा अजी , १८वीं श. १ तसिंहजी के कवित्त ३४७४ जालोरपार्श्वविविध | पुण्यनन्दिरा गू० १७वीं श. ५ ढाल स्तवन ११२२ | जांमलाखारीनीसाणी रा० १६वीं श ६२-६३ | २८६३ रा०गू० | १६२१ १६५से | रूसणा ग्राम में । १६७ रचित । " १७वीं श. १७७वां | जिनकल्याणकस्तवन | हीरकलश (१३३) २८६३ जिनचद्रसूरिगीत (१२३) | २८६३ | जिनचद्रसूरिगीत (१२४) २८६३ | जिनचंद्रसूरिगीतनवक (१२५) जिनचंद्रसूरिस्तुति (६४) | १८२से " " " १८६ १५६से १८५स १८६ १६०वां द्वादश दल कमल बंध में एक काव्य १३६
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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