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________________ - २५५ } गीत-आदि क्रमांक ग्रन्थाङ्क ‘कर्ता लिपि- पत्रसमय | संख्या विशेष प्रन्यनाम (११) ३५७५ १०० २८६३ | खरतरगुरुनामसंस्तवन हीरकलश | सं० १७वीं श. ४ था | सवत् १६२० में रचित। २८६३ खरतरादिगच्छोत्पत्ति हीराणंद | रा० गू० ॥ ११४ वां छप्पय - ३५५० खेतलाजीरो छंद राज. १६वीं श| ३६-४० गउड़ीपार्श्वस्तवन जिनचन्द्र रा० गू० , १०१वां सं. १७२०में रचित । जीर्णप्रति। ७-२१६० गंगानवक खुसरामव. हि. १९१४ २ कर्ता का दूसरा नाम मगनीराम है, उन्हीं द्वारा कृष्णगढ़ मे लिखित । ७२ / ३५७३ | गजसुकुमालगीत नन्नसूरि रा. गू, १८वीं शः ३३-३४ स. १५६१ मे खंभात मे रचित । जीर्ण प्रति। गजसुकुमाल स्वाध्याय गणेशजी, श्यामाजी, | मगनीराम हि० | १६२० १ अंबाजी तथा भैरव की भारती २३५७ गम्भीरमलजी आदि , २०वीं श. १६ | फुटकर पत्र । राजकर्मचारियों के कवित्त २३ / २२४२ / गंभीरमलजीका कवित्त खुसराम ४ | २३५८ | गंभीरमलजी के कवित्त ८५ | २२३२ | गंभीरमलजी को कवित्त | ३५५३ / गाफललावणी विनचंद श १५७ १५६ | ८४ गिरनार की गजल | आधोई (कच्छ) में कल्याण लिखित । सं.१८२१ मे रचित । ८८ | २२६० | गीतसंग्रह जवानसिंह वहि० २०वीं श. १२ नागरीदास हरिदास २२७७
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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