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________________ आयुर्वेदशास्त्र , [ १७७ -- - - - - -- - - - क्रमांक ग्रन्थाक! प्रन्थनाम कर्ता भाषा लिपि- पत्रसमय | संख्या विशेष १२१ | २३७८ वैद्यविनोद ४०० वैद्यवल्लभ हस्तिरुचि | सस्कृत | १८५५ १४ २०३ | वैद्यवल्लभ सस्तबक मू.सं.स्त १८७८ २३ रागू० ७२५ वैद्यवल्लभ सस्तबक १९वीं श. २२ ७३५ | वैद्यवल्लभ सस्तबक | १८५७ / २५ | जीर्णगढ़ में पसा गरी वेलाजी के लिये लिखी। १२० ३८३६ वैद्यवल्लभ सस्तबक " १७६८ १२ पंडपग्राम मे लिखित । शकर भट्ट । स० | १८८३ | ६१ किशनगढ़ मे लिखित । रामसिंह नरेश की प्रेरणा से रचित । १२२ २३८६ वैद्यविनोद धन्वतरि , १८वीं श. १८ १९२ | २३८१ | वैद्यविनोद टिप्पणयुक्त मू० शंकरभट्ट | " | १८६५ | १७३ कृष्णगढ़ में लिखित। रामसिंह नरेश की प्रेरणा से रचित। १२४ २३६२ वैद्यविनोद सस्तवक , १६१७ / १३४ रामसिंह नरेश की प्रेरणा से रचित । | १५६३ | वैद्यसंजीवन १८वीं श ३ वैद्यावतस लोलिंबराज १६वीं श ७ वैद्यावतस पूर्ण करके लेखक ने अनगरंगमत वाजीकरणादि के श्लोक लिखे हैं। | २६३३ व्याधिध्वसिनी | भावशर्मा !,१६वीं श. ७३ | अपूर्ण, पत्र ४ था १७ वा अप्राप्त । ३६% शतश्लोकी बोपदेव शतश्लोकी १६३८ १३ नीमर मे रचित । शतश्लोकी सटीक बोपदेव टीका , १८२२ चन्द्रकला नामक स्त्रोपज्ञ टीका। शतश्लोकी सटीका राजनगर मे लिखी। चन्द्रपला नामक मूल कृति। ७३० शतश्लोकी सार्थ १८वीं श. २५ । चन्द्रकला नामक। १७५ शार्गधरसहिता पूर्व शांर्गधर , १६११ । १६ । खण्ड | २३६० ३८२० ६१ | १७१६
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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