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________________ १७४ ] राजस्थान पुरातत्वान्वेषण मन्दिर - - - क्रमांक प्रन्थाङ्क . प्रन्यनाम ___ कर्ता भाषा / लिपि । पत्रसमय | संख्या विशेष रा० ७२३ ६३ | २३८५ योगचिन्तामणि सस्तवक मू० हर्पकीर्ति मू०सं० १८७३ | ६४ | २४०३ | योगचितामणि सस्तवक | १७७७ मेडता में लिखित । ३८३६ योगचितामणि सस्तबक १८वीं श १०८ ३८४६ | योगचिंतामणि सस्तवक | १८२० १२८ | घटियालीनगर में | लिखित । ३५५२ योगचिंतामणि (सार | " १८वीं श६७-१६० (३) | संग्रह) सार्थ योगमुक्तावली सार्थ | नागार्जुन | " २०वीं श| ८६ ७२७ | योगरत्नाकरचौपई नयनशेखर | रा० गू० १८१४ १२८ रचना सं १७३६ । २६२ योगशत सस्तवक मू सं.स्त. १८४३ रा० गू० १५६२ | योगशत टीका रूपनयन वेद्यवल्लभाख्या टीका। ३८२८ योगशतक " १६वीं श. ११ ३८५५ योगशतक १६६५ केकिंद में लिखित। योगशतक सटीक योगशतक सार्थ मू० वामन मू सं. | १८१४ ३६ रा. गू | रससंकेतकलिका चामुण्ड | सं० १८वीं श. ११ | कोटा मे खिखित । कायस्थ | रामविनोद रामचन्द्र 5. हि १८०५ १०३ । गुटका । ओरंगजेव के शासनकाल में सम्वत् १६५० (१) में रचित । । | ३५५२ रामविनोद रामचन्द्र मिश्र स० | १७६३ अकबर शासित केशवदास सुत मेहरासहर में सं० | १६२० मे रचित । भिन्नमाल में लिखित ३८३३ / रामविनोद | घृततेल भाजनग्राम में लिखित। | ३४४६, रामविनोदभाषा रामचन्द यति राजस्थानी १६३० १५१ पत्र १०० से १०४ पनिका तथा ११७ से ११६ अप्राप्त। सं १७२० में रचित । ३८२६ १७४४
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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