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________________ १४२ ] क्रमांक 'ग्रन्थाङ्क २४४ २४५ २४६ २४७ ग्रन्थ नाम २५५ २५६ २२६५ | विसरभंजन ६३ शतार्थकाव्य सटीक ५०२ | शिशुपालवधकाव्य १५२८ | शिशुपालवधकाव्य २४८ २६७६ | शिशुपालवध काव्य २४६ ३०७५ शिशुपालवध काव्य २५० ३३५६ शिशुपालवध काव्य २५१ २५२ 64 २५३ | १७०४ शिशुपालवध टीका २५४ | ३६३४ | शिशुपालवध टीका HOD HY ५११ शिशुपालवध टीका ५१५ | शिशुपालवध टीका राजस्थान- पुरातत्वान्वेपण मन्दिर २६८० २६८१ | शिशुपालवध सटीक त्रिपाठ कर्त्ता सिवदान सोमप्रम टी. स्वोपज्ञ माघकवि माघकवि माघकवि माघकवि माघकवि वल्लभ वल्लभ दिनकर मिश्र श्री वल्लभ शिशुपालवध सटिप्पणमू माघकवि मू माघकवि टी वल्लभ भाषा राज० २०वीं श. स० १६६३ "" " " " "" 33 "" ," " "" लिपि - समय "" 121 १५१४ १वीं श १८८६ १६वीं श. १८०४ १८६६ १वीं श १८३८ १७०४ १७०१ पत्र संख्या २ २६ ६३ विशेष ११६ | श्रीमद्रण हल्लपुरपत्तने ढढेरवाटके एकवृत्त के सौ अर्थ है। १० म सर्ग पर्यन्त । महादुर्ग मे राजानन्द लिखित | ६७ ५६ ११४ ६५ १६वां सर्ग पर्यन्त । २६७ १०६ १६२ श्री जयप्रभ सूरिणा स्त्रहस्तेन मुनि पूर्णकलशपठनार्थ लिखिता ११ वे सर्ग पर्यन्त । राधरपुरनगर मे लिखित | ६० १० वां सर्ग पर्यन्त | २३४ विजयसिंह शासित मृतसागर वांत द्वारा लिखित । विक्रमपुर मे लिखित १५ वे सर्ग के वे श्लोक पर्यन्त टीका लिखित है। वहीं पत्र १९४वे के प्रात में लेखक ने इस प्रकार पुष्पिका लिखी 'स. १६६४ दि १४ दिने बीकामध्ये '
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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