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________________ - ज्योतिषमाणितादि ., ६] क्रमांक ग्रन्थाङ्क लिपि ग्रन्थनाम | भाषा कर्ता विशेप समय संख्या १६५ १८५५ जातकसारोद्धार माधवाचार्य १६वीं श. द्वादशभावः विचारात्मक अंश है। ६१ मेडता में लिखित । हुँढिराज | १८१८ १६६ ३७६१ ३७४५ | २६४५ ५६ जातकाभरण जातकाभरण जातकाभरण जातकालंकार १८वीं श. १८वीं श रून गणेशदैवज्ञ गणेशदैवज्ञ मू० गणेश टीहरिमानु " जातकालंकार जातकालकार सटीक १८५२ १६०२ ३०७४ | अपूर्ण ११ सं० १५३५ में प्रधपुर में रचित । शाके १५५५ में रचित शाके १५५५ मे सूर्यपुर में मूल रचित खडेला मे लिखित । अंत मे लेखक ने स्वरोदयविचार लिखा है, २५८३ | जोगवत्रीसी सोम स० १७१६ "१८वीं श " १७वीं श २ चार श्लोक हैं ३७१२ ज्ञानप्रदीप केरलवृदावन ६६२ | ज्ञानप्रदीपक २८६३ ज्येष्ठप्रतिपदाविचार (१०३) ३५४७ | ज्योतिषदूहा (३) ३५४७ ज्योतिषहा रा० १८वीं श. १ ला "१६वीं श स्वाश CE-20 | श्रीपति सं० सम्व० १६२४ संबरा०१६वीं श १७०२ | १७८१ १७६५ "१६वीं श १७५६ | ज्योतिषप्रकीर्णक ३७७३ ज्योतिषप्रकीर्णक २५७६ ज्योतिपरत्नमाला ३२६८ ज्योतिपरत्नमाला ३७०६ ज्योतिषरत्नमाला ज्योतिपरत्नमाला सटीक पचपाठ ज्योतिपरत्नमाला चालावबोधसहित ज्योतिषरत्नमाला सवालावबोध ज्योतिपरत्नमाला सस्तवक टी० महादेव मू० श्रीपति स वा रा १७४३ मू० श्रीपति " | १७०१ जाजुरनगर में लिखित । ५४ -जावालपुर में लिखित । श्रीपति मूस स्त १६६६ रा गू
SR No.010607
Book TitleHastlikhit Granth Suchi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages337
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size12 MB
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