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. राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्यभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय
विशेष विवरण आदि
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
४१८वा.
१८४६
सुन्दरदास
भपका-कवित्त ::.. ७ वार १२ मास, राशि संप्रदाय
सिद्धान्त : ... . (२०) भक्तविरदावली
': :
हरिदास दादूपन्थी नारायणदास शिष्य
(२१) अमृतधारा .
भगवानदास अर्जुनदास- | " शिष्य
| ४१६-४२६ | कहीं दोहा और छप्पय छन्दों का प्रयोग हुआ
है। जिसमें 'तुम. विन हरिदास के स्वामी ऐसा विरद कौन को छाजै' यह प्रत्यय पद
प्रायः पाया है। कुल ४१ छन्द हैं। ०२६-०५५/ रचनाकाल-१७२८ । यह वेदान्तग्रन्थ १४
प्रभावों में वर्णित है। भगवानदास क्षेत्रवास के निवासी थे। यह वेदान्त का प्रक्रिया ग्रन्थ
ललित छन्दों में है। श्लोक सं० १०००।। | ४५५-४६१ हरिदास 'भक्त विरदावली' के रचयिता और
नारायणदास के शिष्य थे। इस ग्रन्थ के कई छन्दों में रज्जबजी का भोग है । वे छन्द रज्जबजी के ही हैं।
(२२) कवित्त सर्वङ्ग (४६ छन्दों में) हरिदास
४६१-४६५/
.
(२३) जगजीवनजीकी दृष्टान्त साखी | जगजीवन दादूशिष्य
(१०६ साखी) (२४) विचारमाला
अनाथदास
| ४६५-४७२ | वेदान्त का अच्छा ग्रन्थ है, कविता उत्तम है.
तथा ८ विश्रामों में इसकी पूर्ति हुई है। इसका रचनाकाल १७२६ विक्रमीय है।